Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Nov, 2025 03:07 PM

Goddess Baglamukhi & its Divine Power: शत्रुनाशक देवी बगलामुखी को देवी माता पार्वती का ही उग्र रूप बताया जाता है। इनके बारे में पौराणिक कथा के अनुसार जानकारी मिलती है कि सत युग में सृष्टि पर आए भारी तूफान के कारण सभी प्राणियों को प्रलय का सामना करना...
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Goddess Baglamukhi & its Divine Power: शत्रुनाशक देवी बगलामुखी को देवी माता पार्वती का ही उग्र रूप बताया जाता है। इनके बारे में पौराणिक कथा के अनुसार जानकारी मिलती है कि सत युग में सृष्टि पर आए भारी तूफान के कारण सभी प्राणियों को प्रलय का सामना करना पड़ा था। तब त्राहि-त्राहि मच गई थी, उस समय भगवान विष्णु पृथ्वी की आपदा के निवारण के लिए आगे आए थे और देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सौराष्ट्र क्षेत्र के हरिद्रा सरोवर के निकट उन्होंने घोर तपस्या भी की थी।

भगवान विष्णु द्वारा की गई तपस्या से प्रसन्न होकर देवी, बगलामुखी के रूप में हरिद्रा सरोवर से प्रकट हुई थीं और उसी ने समस्त ब्रह्मांड के विनाश को रोक कर प्राणियों की रक्षा की थी।
कहते हैं लंकापति रावण भी शत्रुओं के विनाश के लिए देवी बगलामुखी की ही पूजा किया करता था। इसी तरह से पांडव भी अपने अज्ञातवास के समय अपनी रक्षा हेतु आराध्य देवी बगलामुखी की ही पूजा किया करते थे। बताया जाता है कि बगला शब्द की उत्पति ‘वल्या’ से बताई जाती है, जिसका अर्थ लगाम है।

कुछ भी हो देवी बगलामुखी के वैसे भी 108 नाम जाने जाते हैं, जो देवी की शक्तियों का परिचय देते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार पता चलता है कि मदन, जिसे काम देव का रूप भी बताया जाता है, को ब्रह्मदेव से वाक सिद्धि का वरदान प्राप्त था, जिसके परिणामस्वरूप वह जो कहता वह सच हो जाता था, इसी सिद्धि का वह दुरुपयोग मानव जाति पर करते हुए, उन्हें परेशान करता रहता था।
मानव समाज के दुख को समझते हुए सभी देवी-देवताओं ने देवी बगलामुखी से इससे छुटकारे के लिए आराधना की। परिणामस्वरूप, देवी बगलामुखी ने राक्षस मदन की जिह्वा ही पकड़ ली और उसकी वाक शक्ति को ही अपने वश में कर लिया। राक्षस मदन ने अपनी गलती को मान कर देवी से क्षमा याचना करते हुए माफी मांग ली लेकिन मरते-मरते वह देवी से कहने लगा कि मेरी पूजा भी आपके साथ होनी चाहिए।
देवी बगलामुखी ने यह वरदान उसे मरने पर दे ही दिया। क्योंकि राक्षस मदन देवी की दयालुता और भक्ति से भली-भांति परिचित था। उसे यह भी मालूम था कि देवी बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं का नाश तो होता ही है और यदि साथ में उसकी पूजा होगी तो उसके शत्रुओं का भी नाश होगा।
देवी बगलामुखी वाणी शक्ति के साथ ही साथ शत्रुनाश शक्ति, सुरक्षात्मक शक्ति, विजय दिलाना, तंत्र साधना, स्तब्ध करने की शक्ति व भैरव रूप में महाकाल की शक्ति भी रखती हैं।
यदि किसी के कार्य को करना चाहे तो उसे सुधार सकती है, रास्ता निकाल सकती है और अपने तर्कों के आधार पर सब कुछ कर सकती है। देवी बगलामुखी का लिबास वस्त्र आदि सभी कुछ पीला होने के कारण ही इन्हें पीतांबरी भी कहा जाता है। इसलिए प्रसाद भी पीला, फूल पीले, हार-श्रृंगार, आभूषण आदि सभी पीले ही रहते हैं।
पूजा करने वाले पुजारी के कपड़े आदि भी पीले ही होते हैं। देवी बगलामुखी की पूजा के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के पश्चात स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल की अच्छी तरह से साफ-सफाई करके अपने लिए पीला आसान लगाएं। आगे लकड़ी के पटड़े पर पीला कपड़ा बिछा कर उस पर देवी बगलामुखी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
पीले फूलों से शृंगार करें। पीले फल, फूल, पीली माला, हल्दी, धूप, बाती आदि रख कर देवी के मंत्र, आरती के पश्चात देवी बगलामुखी का चालीसा पाठ करें व श्रद्धानुसार दान करें।
