Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Dec, 2023 07:52 AM
एक दिन प्रभु यीशु एक ऐसे स्थान पर बैठे हुए थे, जहां पास में एक दान पात्र रखा हुआ था। लोग आते और खूब सारे सिक्के डालकर चले जाते। प्रभु ने गौर किया कि हर कोई पात्र में सिक्के डालने के बाद गर्व महसूस कर रहा था।
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Inspirational Context: एक दिन प्रभु यीशु एक ऐसे स्थान पर बैठे हुए थे, जहां पास में एक दान पात्र रखा हुआ था। लोग आते और खूब सारे सिक्के डालकर चले जाते। प्रभु ने गौर किया कि हर कोई पात्र में सिक्के डालने के बाद गर्व महसूस कर रहा था। कुछ ही देर बाद एक गरीब महिला आई और उसने उस पात्र में दो सिक्के डाले और चुपचाप वहां से चली गई।
यीशु ने चेलों को बुलाकर पूछा, ‘‘सबसे ज्यादा सिक्के डालने वाला दानी है या कम सिक्के डालने वाला?’’ चेलों ने बड़े आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिया, ‘‘सबसे ज्यादा सिक्के डालने वाला दानी व्यक्ति है।’’
प्रभु ने सुना तो बोले, ‘‘नहीं, तुम सभी का सोचना गलत है। गरीब स्त्री ने भले ही थोड़े सिक्के डाले हों मगर परमेश्वर की दृष्टि में इन सिक्कों की कीमत दूसरों द्वारा डाले सिक्कों से कहीं अधिक है।
चेलों ने इसका कारण जानना चाहा तो वह बोले, ‘‘इसका कारण यही है कि धनी लोगों ने जो सिक्के डाले हैं उन्हें उनकी जरूरत नहीं थी, जबकि असली त्याग तो उस गरीब स्त्री ने किया है। उसे इनकी जरूरत होते हुए भी उसने सत्कर्म के लिए अपनी वह संचित पूजी दे डाली। इसका कारण यही है कि स्त्री पुण्यात्मा है और यदि स्वर्ग में जाने की बात आए तो यह महिला ही सच्ची अधिकारी होगी।