Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Feb, 2023 10:45 AM
एक अमावस की रात्रि में एक नेत्रहीन व्यक्ति अपने किसी मित्र के घर मेहमान बनकर गया। उस व्यक्ति को उसी रात
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Inspirational story: एक अमावस की रात्रि में एक नेत्रहीन व्यक्ति अपने किसी मित्र के घर मेहमान बनकर गया। उस व्यक्ति को उसी रात अपने घर वापस जाना था। जैसे ही वह घर से विदा होने लगा तो उसके मित्र ने कहा कि साथ में लालटेन लेकर जाए तो अच्छा रहेगा। रात बहुत अंधेरी है और आपके पास आंखें भी नहीं हैं।
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मित्र की बात सुनकर उस नेत्रहीन आदमी ने हंसकर कहा कि मेरे हाथ में लालटेन का क्या अर्थ हो सकता है ? मैं नेत्रहीन हूं। मेरे लिए रात और दिन बराबर है। मुझे दिन का सूरज भी वैसा है, जैसे अमावस्या की रात। मेरे हाथ में प्रकाश का कोई अर्थ नहीं। लेकिन मित्र का परिवार मानने के लिए राजी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि तुम्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन तुम्हारे हाथ में प्रकाश देखकर दूसरे लोग अंधेरे में तुम से टकराने से बच जाएंगे, इसलिए लालटेन लेकर जाएं।
उसे यह तर्क ठीक मालूम हुआ और वह आदमी हाथ में लालटेन लेकर निकल पड़ा। वह अभी दो सौ कदम भी आगे नहीं जा पाया था कि कोई उससे टकरा गया। वह बहुत हैरान हुआ और उसने सामने वाले आदमी से कहा कि क्या तुम्हें दिखाई नहीं पड़ता ? मेरे हाथ में लालटेन है। तुम भी नेत्रहीन हो क्या ? सामने से टकराने वाले व्यक्ति ने कहा, मैं तो नेत्रहीन नहीं हूं लेकिन आपके हाथ की लालटेन बुझ गई है।
नेत्रहीन आदमी के हाथ में लालटेन हो तो यह पता चलना कठिन होता है कि कब लालटेन बुझ गई ? लेकिन उसको भी यह बात पता चल जाती है कि कोई उससे टकरा रहा है। मनुष्यता इससे भी ज्यादा अंधी मालूम पड़ती है। हम रोज टकराते हैं लेकिन हमें यह पता नहीं चलता कि हमारे हाथ का प्रकाश बुझ गया है। हम अंधे हैं।
यह तो मनुष्य जाति का पूरा इतिहास कहेगा कि हमारे पास जैसे आंखें नहीं हैं, क्योंकि हम रोज बार-बार उन्हीं गड्ढों में गिर जाते हैं, जिनमें कल गिरे थे। हमें अपनी गलतियों से सबक सीखना चाहिए, जो हम लोग कदापि नहीं करते एवं जीवन में बार-बार वही गलती दोहराते हैं।