Edited By Sarita Thapa,Updated: 03 Aug, 2025 11:01 AM

Inspirational Context: दो वैज्ञानिक आपस में बात कर रहे थे। उनमें से एक वृद्ध और एक युवा था। वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा, “चाहे विज्ञान कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले लेकिन वह अभी तक ऐसा कोई उपकरण नहीं ढूंढ पाया जिससे चिंता पर लगाम कसी जा सके।”
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Inspirational Context: दो वैज्ञानिक आपस में बात कर रहे थे। उनमें से एक वृद्ध और एक युवा था। वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा, “चाहे विज्ञान कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले लेकिन वह अभी तक ऐसा कोई उपकरण नहीं ढूंढ पाया जिससे चिंता पर लगाम कसी जा सके।”
युवा वैज्ञानिक मुस्कुराते हुए बोला, “आप भी कैसी बातें करते हैं। अरे चिंता तो मामूली-सी बात है। भला उसके लिए उपकरण ढूंढने में समय क्यों नष्ट किया जाए?”
वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा, “चिंता बहुत भयानक होती है। यह व्यक्ति का सर्वनाश कर देती है।” हालांकि युवा वैज्ञानिक उनसे सहमत नहीं हुआ।
वृद्ध वैज्ञानिक उसे अपने साथ घने जंगलों की ओर ले गए। एक विशालकाय वृक्ष के आगे वे खड़े हो गए। युवा वैज्ञानिक बोला, “आप मुझे यहां क्यों लाए हैं?”

वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा, “जानते हो, इस वृक्ष की उम्र 400 वर्ष बताई गई है।” युवा वैज्ञानिक बोला, “अवश्य होगी।” वृद्ध वैज्ञानिक ने समझाते हुए कहा, “इस वृक्ष पर चौदह बार बिजलियां गिरीं। वर्षों से अनेक तूफानों का इसने सामना किया।” अब युवा वैज्ञानिक ने झुंझला कर कहा, “आप साबित क्या करना चाहते हैं?”
वृद्ध वैज्ञानिक बोले, “धैर्य रखो। यहां आओ और देखो कि इसकी जड़ में दीमक लग गया है। दीमक ने इसकी छाल को कुतर-कुतर कर तबाह कर दिया है।” युवा वैज्ञानिक ने पूछा, “अब निष्कर्ष तो बताइएं।”
वृद्ध वैज्ञानिक बोले, “जिस तरह यह विशाल वृक्ष बिजली से नष्ट नहीं हुआ, तूफान से धराशायी नहीं हुआ लेकिन मामूली दीमक उसे चट कर गया, उसी तरह चिंता का दीमक भी एक सुखी-समृद्ध और ताकतवर व्यक्ति को चट कर जाता है।” युवा वैज्ञानिक उनसे सहमत हो गया।
