Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Mar, 2024 08:23 AM
इटली के प्रमुख उद्योगपति मेवार्डो एक दिन अपने कर्मचारियों के घरों का अवलोकन करने पहुंचे। उन्होंने देखा कि जिन श्रमिकों के खून-पसीने से कारखाने में उत्पादन होता
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Inspirational Story: इटली के प्रमुख उद्योगपति मेवार्डो एक दिन अपने कर्मचारियों के घरों का अवलोकन करने पहुंचे। उन्होंने देखा कि जिन श्रमिकों के खून-पसीने से कारखाने में उत्पादन होता है, उन्हीं को अपने घरों में अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके घरों की स्थिति देखकर मेवार्डो बहुत दुखी हुए। उन्होंने तय किया कि अपने कर्मचारियों के रहन-सहन का स्तर ऊपर उठाना चाहिए क्योंकि कर्मचारियों की मेहनत की बदौलत ही उनका उद्योग फल-फूल रहा है।
दूसरे ही दिन मेवार्डो ने अपने महलनुमा मकान को छोड़कर दो कमरे वाले छोटे से एक मकान में रहना शुरू कर दिया। अपने बड़े मकान में एक अनाथालय खोल दिया। मेवार्डो ने उद्योग से अर्जित आय का आधा भाग मजदूरों के लिए अच्छे मकान बनवाने पर खर्च कर दिया। मजदूरों की सुविधा के लिए अनेक योजनाएं बनाईं।
एक दिन उनके पुत्र ने कहा, ‘‘पिताजी हमारे पास पर्याप्त धन है लेकिन हम अपने मजदूरों की तरह सादा जीवन क्यों व्यतीत करते हैं ? आपका अर्जित धन हमारे किस काम का है ? मजदूरों और हमारे जीवन के रहन-सहन में कोई भी अंतर नहीं है, ऐसा तो उचित नहीं।’’
मेवार्डो ने उत्तर दिया, ‘‘यह धन मेरे परिश्रम से अर्जित नहीं होता। इसे अर्जित करने में हमारे कर्मचारियों का पसीना लगता है। अत: इस पर उनका भी उतना ही अधिकार है, जितना हमारे परिवार का। मैं चाहता हूं कि हम भी उसी स्तर की जिंदगी जिएं, जैसे हमारे कर्मचारी जी रहे हैं। ईश्वर ने हमें और मजदूरों को बनाने में कोई अंतर नहीं किया।’’
पिता की बात का आशय पुत्र समझ गया एवं उसने अपनी सोच को पिता के आदर्शों के अनुरूप ढाल लिया।