Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Jun, 2025 07:03 AM

महान दार्शनिक सुकरात अपने शिष्यों के साथ किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। तभी वहां एक ज्योतिषी आ पहुंचा। वह बोला,‘‘मैं किसी का चेहरा देखकर उसका चरित्र बता सकता हूं।
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Inspirational Story: महान दार्शनिक सुकरात अपने शिष्यों के साथ किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। तभी वहां एक ज्योतिषी आ पहुंचा। वह बोला,‘‘मैं किसी का चेहरा देखकर उसका चरित्र बता सकता हूं।
बताओ तुममें से कौन मेरी इस विद्या को परखना चाहेगा ?’’ सुकरात ने उस ज्योतिषी से अपने बारे में बताने के लिए कहा।
ज्योतिषी उन्हें कुछ देर निहारने के बाद बोला,‘‘तुम्हारे चेहरे की बनावट बताती है कि तुम सत्ता के विरोधी हो, तुम्हारे अंदर द्रोह करने की भावना प्रबल है। तुम्हारी आंखों के बीच पड़ी सिकुड़न तुम्हारे अत्यंत क्रोधी होने का प्रमाण देती है।’’
ज्योतिषी ने अभी इतना ही कहा था कि वहां बैठे शिष्य अपने गुरु के बारे में ये बातें सुनकर गुस्से में आ गए और उस ज्योतिषी को तुरंत वहां से जाने के लिए कहा। सुकरात ने उन्हें शांत करते हुए ज्योतिषी को अपनी बात पूर्ण करने के लिए कहा।
ज्योतिषी बोला,‘‘तुम्हारे बेडौल सिर और माथे से पता चलता है कि तुम लालची हो और तुम्हारी ठुड्डी की बनावट तुम्हारे सनकी होने के तरफ इशारा करती है।’’ इतना सुनकर शिष्य और भी क्रोधित हो गए पर इसके उलट सुकरात प्रसन्न हो गए और ज्योतिषी को ईनाम देकर विदा किया। सुकरात के इस व्यवहार से शिष्य आश्चर्य में पड़ गए और उनसे पूछा,‘‘गुरुजी,आपने उस ज्योतिषी को ईनाम क्यों दिया,जबकि उसने जो कुछ भी कहा वह सब गलत है ?’’

सुकरात बोले, ‘‘नहीं पुत्रो, ज्योतिषी ने जो कुछ भी कहा वह सब सच है, उसके बताए सारे दोष मुझमें हैं। मुझे लालच है, क्रोध है और उसने जो कुछ भी कहा वह सब है। पर वह एक बात बताना भूल गया, उसने सिर्फ बाहरी चीजें देखी पर मेरे अंदर के विवेक को नहीं आंक पाया, जिसके बल पर मैं इन सारी बुराइयों को अपने वश में किए रहता हूं, बस वह यहीं चूक गया,वह मेरे बुद्धि बल को नहीं समझ पाया।’’ यह सुनते ही सभी शिष्य नतमस्तक हो गए।
