Jyeshtha Amavasya: कब है ज्येष्ठ अमावस्या 2025 ? यहां जानें तारीख, तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि की Full Information

Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 May, 2025 03:47 PM

jyeshtha amavasya

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में एक अमावस्या तिथि आती है लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह तिथि पितरों के श्राद्ध, तर्पण, शनि पूजा और व्रत-उपवास के लिए विशेष रूप से उपयुक्त मानी जाती है।

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Jyestha Amavasya: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में एक अमावस्या तिथि आती है लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह तिथि पितरों के श्राद्ध, तर्पण, शनि पूजा और व्रत-उपवास के लिए विशेष रूप से उपयुक्त मानी जाती है।  वर्ष 2025 में लोगों के मन में यह सवाल है कि ज्येष्ठ अमावस्या 26 मई को है या 27 मई को ? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इस तिथि से जुड़ी पूरी जानकारी सही तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि के साथ।

 Jyeshtha Amavasya ज्येष्ठ अमावस्या 2025
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ अमावस्या की शुरुआत 26 मई को दोपहर लगभग 12:11 बजे से हो रही है और यह तिथि समाप्त होगी 27 मई को रात 8:31 बजे। चूंकि अमावस्या का मान सूर्य उदय से संबंधित होता है इसलिए अगले दिन यानी 27 मई 2025  को ज्येष्ठ अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन पितृ तर्पण और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।

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Method of worship of Jyeshtha Amavasya  ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि

पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म
प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूर्वजों के नाम पर तर्पण करें  जल में काले तिल, जौ और कुश मिलाकर अर्पण करें।

ब्राह्मण भोजन और दान देना शुभ होता है।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए दीपक जलाएं और प्रार्थना करें।

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शनि देव की पूजा- शनि जयंती
इस दिन शनि देव का जन्मदिन भी माना जाता है। शनि देव की प्रतिमा को सरसों के तेल से स्नान कराएं।

काले तिल, उड़द की दाल, नीले पुष्प और लोहे से बनी वस्तुएं चढ़ाएं।

ॐ शं शनैश्चराय नम  मंत्र का 108 बार जाप करें।

पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।

दान-पुण्य के कार्य
इस दिन दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, तेल, छाता, पंखा, जल आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है। गायों को चारा, पक्षियों को जल और अन्न देना विशेष फलदायी होता है।

 ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन ध्यान, जप और तप करने से आत्मिक शुद्धि होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
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