जानिए, आपकी राशि के अनुसार कौन हैं आपके इष्ट देव?

Edited By Updated: 04 Dec, 2021 06:00 PM

knonw your isht dev according to your zodiac sign

यूं तो सनातन धर्म के संबंध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा और श्रद्धा के अनुसार किसी भी देवी-देवता की आराधना कर सकता है। इसके बावजूद ईष्ट देव की पूजा का विशेष महत्व होता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
यूं तो सनातन धर्म के संबंध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा और श्रद्धा के अनुसार किसी भी देवी-देवता की आराधना कर सकता है। इसके बावजूद ईष्ट देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। लेकिन बहुत से लोग होते हैं जिन्हें अपने ईष्ट देव नहीं पता हैं। तो इस वीडियो में हम आपको राशि के मुताबिक बताएंगे कि आपके ईष्टदेव कौन हैं। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

राशि अनुसार जानें अपने इष्ट देव को-
मेष और वृश्चिक- मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है इसलिए इन दोनों राशि वालों के इष्टदेव हनुमानजी और राम जी हैं।

वृषभ और तुला- वृषभ और तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है और इसलिए इनकी इष्ट देवी मां दुर्गा हैं, उन्हें इनकी आराधना करनी चाहिए।

मिथुन और कन्या- मिथुन और कन्या राशि का स्वामी ग्रह बुध है और इसलिए उनके इष्ट देव गणेश जी और विष्णु जी हैं और उन्हें इनकी पूजा करनी चाहिए।

कर्क- कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है और इन लोगों के इष्ट देव शिव जी हैं। इनकी पूजा से विशेष फल मिलता है।

सिंह- सिंह राशि वालों का स्वामी ग्रह सूर्य है और उनके इष्ट देव हनुमान जी और मां गायत्री हैं।

धनु और मीन- धनु और मीन राशि वालों के स्वामी ग्रह गुरु हैं और उनके इष्ट देव विष्णु जी और लक्ष्मी जी हैं।

मकर और कुंभ- मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं इसलिए उनके इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी हैं। उनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

जानकारी के लिए बता दें कि ईष्टदेव की पहचान कुंडली के पंचम भाव से की जाती है।।।  ज्योतिष शास्त्र की मानें तो आपके जन्म की तारीख, आपके नाम के पहले अक्षर की राशि या जन्म कुंडली की राशि के आधार पर इष्टदेव की पहचान की जा सकती है। अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है। कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है। इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं। इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते।


 

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