Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jul, 2018 04:00 PM
एकादशी से एक दिन पूर्व अर्थात 8 जून को सच्चे भाव से एकादशी व्रत करने का संकल्प करना चाहिए तथा अगले दिन प्रात: स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु नारायण एवं भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी के रुप का धूप, दीप, नेवैद्य, फूल एवं फलों सहित पवित्र...
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एकादशी से एक दिन पूर्व अर्थात 8 जुलाई को सच्चे भाव से एकादशी व्रत करने का संकल्प करना चाहिए तथा अगले दिन प्रात: स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु नारायण एवं भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी के रुप का धूप, दीप, नेवैद्य, फूल एवं फलों सहित पवित्र भाव से पूजन करना चाहिए। सारा दिन अन्न का सेवन किए बिना सत्कर्म में अपना समय बिताना चाहिए तथा भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना चाहिए। इस व्रत में केवल फलाहार करने का विधान है। रात को मंदिर में दीपदान करना चाहिए तथा प्रभु नाम का संकीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए, द्वादशी तिथि यानि 10 जुलाई को अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण करना शास्त्र सम्मत है।
क्या कहते हैं विद्वान- अमित चड्डा के अनुसार अपनी एकादश इन्द्रियों को भगवत सेवा में लगाना ही वास्तव में एकादशी व्रत है। उन्होंने कहा कि ‘शरणागति इज द सल्यूशन आफ आल प्राब्लमस’। इसलिए भगवान की शरण में जाना ही सच्ची प्रभु भक्ति एवं नियम है। उन्होंने कहा कि एकादशी का व्रत तब तक सम्पूर्ण नहीं होता जब तक द्वादशी को उसका पारण विधिवत ढंग से न किया जाए। उन्होंने बताया कि व्रत का पारण सूर्योदय के हिसाब से किया जाता है, उसी के तहत पंजाब में व्रत का पारण (खोलना) 10 जुलाई को प्रात: 10.10 से पहले किया जाना चाहिए।
वीना जोशी
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