Edited By Jyoti,Updated: 13 Nov, 2018 12:08 PM
जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की तुलना जीव-जंतु से करता है तो उसे इसमें अपना अपमान महसूस होता है।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की तुलना जीव-जंतु से करता है तो उसे इसमें अपना अपमान महसूस होता है। उसके मन में उस व्यक्ति के प्रति द्वेष पैदा उत्पन्न हो जाता है। क्योंकि हम सोचते हैं कि हम यानि मानव जानवर से कई ऊपर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महर्षि वेदव्यास ने इंसान की कीड़े से तुलना करते हुए उसे कीड़े से भी बदतर बताया है। आइए जानते हैं इस संदर्भ से जुड़ी एक पौराणिक कथा जो आपको एक बहुत अच्छी सीख दे सकती है।
एक बार की बात है कि महर्षि वेदव्यास ने एक कीड़े को बहुत तेज़ी से भागते हुए देखा। उसे देखकर उन्होंने उससे प्रश्न पूछा कि हे क्षुद्र जंतु, तुम इतनी तेज़ी से कहां भागे जा रहे हो। वेद व्यास की इस बात से कीड़े को बहुत चोट पहुंची। जिसके बाद उसने कहा कि हे महर्षि, आप तो इतने ज्ञानी हैं कि यहां क्षुद्र कौन है और महान कौन। क्या इस प्रश्न और उसके उत्तर की सही-सही परिभाषा संभव है। कीड़े की बात ने महर्षि को किसी जवाब देने लायक नहीं छोड़ा।
परंतु फिर भी उन्होंने उस कीड़े से पूछा, अच्छा यह तो बताओ कि तुम इतनी तेज़ी से जा कहां रहे हो। कीड़े ने कहा, 'मैं तो अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा हूं। आप देख नहीं रहे, मेरे पीछे कितनी तेज़ी से बैलगाड़ी चली आ रही है। कीड़े के इस उत्तर ने एक बार फिर से महर्षि को हैरान कर दिया। उन्होंने उसे कहा कि तुम तो इस कीट योनि में पड़े हो। अगर मर भी गए तो तुम्हें दूसरा और बेहतर शरीर मिलेगा। इस पर कीड़ा ने कहा कि महर्षि, मैं तो इस कीट योनि में रहकर कीड़े का आचरण कर रहा हूं, लेकिन ऐसे असंख्य प्राणी हैं, जिन्हें भगवान ने शरीर तो मनुष्य का दिया है, पर वे मुझसे भी गया-गुज़रा आचरण कर रहे हैं। मैं तो ज्यादा ज्ञान नहीं पा सकता, मगर मानव तो श्रेष्ठ शरीरधारी है, फिर भी ज्यादातर मनुष्य ज्ञान से विमुख होकर कीड़ों की तरह आचरण कर रहे हैं।
कीड़े की इन बातों में महर्षि को सत्यता नज़र आई। वे सोचने लगे कि वाकई जो मानव जीवन पाकर भी देहासक्ति और अहंकार से बंधा है, जो मनुष्य ज्ञान पाने की क्षमता पाकर भी ज्ञान से विमुख है, वह कीड़े एक से भी बदतर है।
इस सबके बाद महर्षि वेदव्यास ने कीड़े से कहा, 'नन्हें जीव, चलो हम तुम्हारी सहायता कर देते हैं। तुम्हें उस पीछे आने वाली बैलगाड़ी से दूर पहुंचा देते हैं। परंतु कीड़े ने उनकी सहायता लेने से इंकार कर दिया और बोला, मुनिवर श्रमरहित पराश्रित जीवन विकास के द्वार बंद कर देता है। कीड़े के इस कथन ने महर्षि को ज्ञान का नया संदेश प्रदान किया।
घर से निकलते समय आ जाए छींक तो जाने से क्यों रोका जाता है (VIDEO)