Mantra Jaap : जानें मंत्र जाप के तीन रहस्य, कौन-सा जाप खोलता है भाग्य के द्वार ?

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 04:07 PM

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Mantra Jaap: हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आत्म-शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अत्यंत प्रभावशाली साधन माना गया है। मान्यता है कि जब मंत्रों का जाप सही समय, उचित विधि, निर्धारित संख्या और एकाग्रता के साथ किया जाए, तो यह साधक को न केवल...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mantra Jaap: हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आत्म-शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अत्यंत प्रभावशाली साधन माना गया है। मान्यता है कि जब मंत्रों का जाप सही समय, उचित विधि, निर्धारित संख्या और एकाग्रता के साथ किया जाए, तो यह साधक को न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्रदान करता है, बल्कि मोक्ष के मार्ग में भी सहायक होता है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि मंत्र जाप तीन तरह से किया जाता है और इन तीनों में कौन-सा सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
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मंत्र जाप के तीन प्रकार-

मानसिक जाप

जब मंत्रों का जाप मन में किया जाता है और होंठ बिल्कुल भी नहीं हिलते, तो इसे मानसिक जाप कहते हैं। साधक बाहर से बिल्कुल शांत दिखाई देता है, जिससे आसपास के लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह मंत्र जप रहा है। यह जाप गहन एकाग्रता की मांग करता है।

वाचिक जाप
इस विधि में मंत्रों का उच्चारण आवाज के साथ किया जाता है। यानी जाप स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है। हवन, यज्ञ और वैदिक अनुष्ठानों में सामान्यत: वाचिक जाप ही किया जाता है, क्योंकि इसमें ध्वनि का कंपन वातावरण को भी सकारात्मक बनाता है।

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उपांशु जाप
यह मानसिक और वाचिक जाप का मिश्रित रूप है। इसमें मंत्र होंठों को हल्का-सा हिलाते हुए बहुत धीमी आवाज़ में पढ़े जाते हैं। साधक के होंठों की हलचल से ही पता चलता है कि वह जाप कर रहा है, परंतु यह आवाज किसी और को सुनाई नहीं देती।

कौन-सा मंत्र जाप सबसे श्रेष्ठ ?

शास्त्रों में मानसिक जाप को तीनों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहा गया है कि यह साधक को सबसे तेजी से आध्यात्मिक प्रगति प्रदान करता है, क्योंकि इसमें मन, बुद्धि और आत्मा पूरी तरह मंत्र में एकाग्र हो जाते हैं। इसके बाद दूसरा स्थान उपांशु जाप को और तीसरा वाचिक जाप को दिया गया है। मानसिक जाप माला या उंगलियों के पोरों पर किया जा सकता है। पुत्र प्राप्ति, नवग्रह शांति या रोग निवारण जैसे विशेष उद्देश्य के लिए लगभग एक लाख मंत्र जाप का विधान बताया गया है। वहीं, आत्मिक शांति के लिए व्यक्ति नियमित रूप से जाप करता रहे तो उत्तम माना जाता है। जाप पूरा होने पर भगवान का अभिषेक करना, दान-पुण्य करना और कृतज्ञता व्यक्त करना अनिवार्य माना गया है।

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