Narmada Jayanti: मां नर्मदा ने शादी न करने का लिया फैसला और पश्चिम की ओर लगी बहने

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Feb, 2024 07:54 AM

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हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।  इस बार 19 फरवरी दिन शुक्रवार को नर्मदा जयंती मनाई जाएगी। पूरे देश में नर्मदा जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई जाएगी।

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Narmada Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।  इस बार 19 फरवरी दिन शुक्रवार को नर्मदा जयंती मनाई जाएगी। पूरे देश में नर्मदा जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई जाएगी। जिस तरह सनातन धर्म में गंगा नदी का विशेष स्थान है, वैसे ही नर्मदा नदी को भी प्राप्त है। माना जाता है कि इस दिन नर्मदा नदी के पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं नर्मदा जयंती की पौराणिक कथा के बारे में।

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Birth legend of Maa Narmada मां नर्मदा की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव मैखल पर्वत में तपस्या में लीन थे, तब उनके पसीने से नर्मदा का जन्म हुआ। नर्मदा ने प्रकट होते ही अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं दिखाई कि खुद शिव-पार्वती हैरान हो गए। तभी उस कन्या का नाम नर्मदा रखा। जिसका अर्थ होता है, सुख प्रदान करने वाली। इसका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है। शिव जी ने उस कन्या को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उसे भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। वह मैखल पर्वत पर उत्पन्न हुई थीं, इसलिए वह मैखल राज की पुत्री भी कहलाती हैं।

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एक अन्य कथा के अनुसार, मैखल पर्वत पर एक दिव्य कन्या प्रकट हुई थी। तब सभी देवी-देवताओं ने मिलकर उसका नाम नर्मदा रखा। नर्मदा ने हजारों वर्षों तक शिव जी की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें यह वरदान दिया कि उनके तट पर सभी हिंदू देवी-देवताओं का वास होगा और नदी के सभी पत्थर शिवलिंग स्वरूप में पूजे जाएंगे।

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एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां नर्मदा बड़ी हुई तो उनके पिता मेखला राज के मन में उनके विवाह का विचार आया। उन्होंने उनका विवाह राजकुमार सोनभद्र से तय कर दिया। तब एक दिन अचानक मां नर्मदा के मन में राजकुमार से मिलने की इच्छा प्रकट हुई तब राजकुमार से मिलने के लिए उन्हें एक दासी को भेजा। दासी ने राजसी गहने पहने हुए थे। तब राजकुमार सोनभद्र ने दासी को रानी समझकर उनसे शादी कर ली। काफी समय गुजर जाने के बाद दासी के वापस न आने पर मां नर्मदा खुद ही राजकुमार को मिलने चली गई। दासी को राजकुमार के साथ देखकर मां नर्मदा बहुत दुखी हो गई। तब उन्होंने शादी न करने का फैसला किया। यह भी कहा जाता है कि उसके बाद मां नर्मदा पश्चिम की तरफ चली गई और कभी भी वापस नहीं लौट कर आई। इसलिए आज भी मां नर्मदा पश्चिम की और बहती है।

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