शास्त्रों में कुछ इस तरह से किया गया है मां दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन

Edited By Lata,Updated: 26 Mar, 2020 01:39 PM

navratri pujan

नवरात्र के नौ दिनों में भगवती मां दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि

नवरात्र के नौ दिनों में भगवती मां दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, व सिद्धिदात्री की आराधना करने का विधान है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कन्या पूजन से मां भगवती प्रसन्न होती हैं जिस स्थान पर कुंवारी कन्या का पूजन होता है वही मां भगवती का निवास होता है। कुंवारी कन्या पूजन से मनुष्य को लक्ष्मी, सम्मान, पृथ्वी, विद्या तथा महान तेज प्राप्त होता है और रोग दुष्ट ग्रह भय, शत्रु विघ्न, दुख शांत होकर दूर हो जाते हैं।
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शैलपुत्रीः मां के नौ रूपों में शैलपुत्री भगवती मां दुर्गा अपने पहले स्वरूप में शैल पुत्री के नाम से जानी जाती है। पर्वत राज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैल पुत्री पड़ा था। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल बाएं हाथ में कमल पुष्प शोभायमान है। यह देवी नवदुर्गाओं में प्रथम है। इनका पूजन रविवार को किया गया।

ब्रह्मचारिणी : ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्म शब्द का अर्थ है तपस्या अर्थात तप की देवी। इनके दाहिने हाथ में तप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। 

चंद्रघंटा : भगवती दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम है। यह रूप परम शक्तिदायक और कल्याणकारी है। उनका मस्तक अर्धचंद्राकार है। इनकी दस भुजाएं हैं जिनमें खड्ग आदि शस्त्र एवं बाण विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका ध्यान हमारे लिए इहलोक व परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।

कूष्मांडा : मां भगवती के चौथे रूप का मंद हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। इनकी पूजा आराधना से आयु, यश बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
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स्कंदमाता : भगवती मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप। भगवान स्कंद की माता होने के कारण इनको स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनकी आराधना से हर क्षेत्र में सुख व उन्नति प्राप्त होती है।

कात्यायनी : भगवती मां का छठा स्वरूप। इनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें। इनकी इच्छा पूरी करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के संहार के लिए देवी को उत्पन्न किया तथा महर्षि कात्यायन  ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इस दिन साधक का मन आज्ञाचक्र में स्थित होता है।

कालरात्रि : भगवती मां दुर्गा की सातवीं शक्ति। इनके शरीर का रंग काला, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला, तीन नेत्र। इनकी साधना से साधक का मन सहस्त्राचक्र में स्थित होता है।

महागौरी : भगवती मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम है। इनके वस्त्र और आभूषण श्वेत हैं चार भुजाएं हैं। वाहन वृष है। इनकी पूजा अर्चना सर्वविध कल्याणकारी है।

सिद्धिदात्री : भगवती मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। यह रूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है।
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मार्कंडेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, लधिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इश्त्वि और वशित्व ये आठ सिद्धियां होती हैं। भगवान श्री राम ने रावण पर विजय पाने के लिए नवरात्र में भगवती मां शक्ति की पूजा की थी।

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