New Year 2025: भारत में एक बार नहीं बल्कि 5 बार मनाया जाता है न्यू ईयर जानें, कब और क्यों

Edited By Updated: 19 Dec, 2024 09:04 AM

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कुछ ही दिनों में 2024 खत्म होने वाला है और 2025 की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में हर कोई आने वाले नए साल को लेकर बहुत उत्सुक है। नव वर्ष हर व्यक्ति के लिए नए सपने कुछ ही दिनों में 2024 खत्म होने वाला है और 2025 की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में हर कोई...

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New Year 2025: कुछ ही दिनों में 2024 खत्म होने वाला है और 2025 की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में हर कोई आने वाले नए साल को लेकर बहुत उत्सुक है। नव वर्ष हर व्यक्ति के लिए नए सपने और नए लक्ष्य को पूरा करने की एक राह दिखाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पूरा वर्ष में हर साल एक जनवरी को न्यू ईयर मनाया जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि  भारत में नया साल कई बार मनाया जाता है क्योंकि यहां विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और कैलेंडरों का पालन किया जाता है। इन त्योहारों के माध्यम से लोग नए साल का स्वागत करते हैं  और हर एक का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। आइए जानते हैं, भारत में नया साल कब-कब और क्यों मनाया जाता है -

हिंदू नववर्ष
हर वर्ष हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। किवदिंतियों के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी और विक्रम संवत की शुरुआत हुई थी। भारत के अलग-अलग जगह में इसे अलग नामों से जाना जाता है उगादी, गुड़ी पड़वा आदि।

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पंजाबी नववर्ष
पंजाबी नववर्ष, जिसे बैसाखी भी कहा जाता है, हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह पंजाबी कैलेंडर का नया साल होता है और विशेष रूप से पंजाब राज्य के लोग इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार कृषि आधारित होता है और किसान इसे अपनी फसल की कटाई के रूप में मनाते हैं। बैसाखी के दिन, फसल की कटाई से जुड़ी खुशियां मनाने के साथ-साथ लोग धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं, खासकर सिख समुदाय के लोग। यह नानकशाही कैलेंडर पर आधारित है। बैसाखी का धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है क्योंकि इस दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी।

पारसी नववर्ष
पारसी नववर्ष  करीब तीन हजार साल पहले हुई थी। शाह जमशेदजी ने सबसे पहले इसे मनाया था। इसमें लीप वर्ष नहीं होता है और इसे साल में दो बार मनाया जाता है। भारत के पारसी समुदाय के लोग 16 अगस्त और विदेश के पारसी समुदाय के लोग 21 मार्च को अपना नया वर्ष मनाते हैं। यह दिन पारसी समाज के लिए एक नवीनीकरण, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होता है।

जैन नववर्ष
जैन धर्म के लोग दीपावली के अगले दिन अपना नया वर्ष मनाते हैं। यह नववर्ष विशेष रूप से जैन समुदाय में एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। जैन धर्म में नववर्ष का प्रमुख धार्मिक महत्व है क्योंकि गुरु महावीर का मोक्ष इस दिन हुआ था। गुरु महावीर ने ही जैन धर्म को पुनः स्थापित किया और उनकी शिक्षा आज भी जैन समुदाय के लिए मार्गदर्शन का काम करती है।

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मुस्लिम नववर्ष
मुस्लिम नववर्ष के नए साल को हिजरी नववर्ष भी कहा जाता है, इस्लामी कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर, जिसे हिजरी कैलेंडर कहा जाता है, चंद्र माध्यम से आधारित होता है और इसका नया साल 1 मुहर्रम  को प्रारंभ होता है।
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