Nirjala Ekadashi- निर्जला एकादशी पर इस शास्त्रीय विधि से करें पूजा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jun, 2024 01:23 PM

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वर्ष भर में चौबीस एकादशी आती हैं। इनमें से निर्जला एकादशी ब्रह्माण्ड की सबसे श्रेष्ठ एकादशी मानी गई है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि महर्षि वेदव्यास के अनुसार भीमसेन ने इसे माना था। सिद्धांत यह है कि

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Nirjala Ekadashi 2024: वर्ष भर में चौबीस एकादशी आती हैं। इनमें से निर्जला एकादशी ब्रह्माण्ड की सबसे श्रेष्ठ एकादशी मानी गई है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि महर्षि वेदव्यास के अनुसार भीमसेन ने इसे माना था। सिद्धांत यह है कि इस एकादशी के व्रत का फल हर साल एक ही बार में प्राप्त होता है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान है, क्योंकि इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Nirjala Ekadashi Vrat Puja Vidhi निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि
जो वर्ष भर की सभी एकादशियों का व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशियों के समान पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है:

इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।
एकादशी के दिन प्रात: काल स्नान के बाद भगवान विष्णु की विधान से पूजा करें। इसके बाद भगवान का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
इस दिन भक्ति भाव से कथा और भगवान का कीर्तन करना चाहिए।
इस दिन व्रती को चाहिए कि वह जल, वस्त्र, चीनी और दक्षिणा दीक्षित ब्राह्मण को दान दे।

इसके बाद दान और पुण्य आदि कर, इस व्रत का विधान पूर्ण होता है। धार्मिक महत्व की दृष्टि से इस व्रत का फल लंबी आयु, स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ सभी पापों का नशा करने वाला माना जाता है।

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Importance of donation on Nirjala Ekadashi निर्जला एकादशी पर दान का महत्व
इस व्रत में यथाशक्ति अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखुड़ी फल आदि का दान करना चाहिए। इस दिन जल कलश का दान करने वालों को साल भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न का दोष छूट जाता है और संपूर्ण एकादशियों का पुण्य लाभ भी मिलता है। जो श्रद्धालु इस पवित्र एकादशी का व्रत करते हैं, वह समस्त पापों से मुक्त अखंड और अविनाशी पद प्राप्त करते हैं।

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Nirjala Ekadashi Vrat निर्जला एकादशी व्रत
निर्जला ब्रह्माण्ड पारणा उत्सव  05:23:25 से 08:11:03 तक 19, जून को
अवधि: 2 घंटा 47 मिनट

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

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