महापर्व संवत्सरी: दूसरों की त्रुटियों को क्षमा करना ही है इस पर्व की अराधना का विशेष उद्देश्य

Edited By Updated: 08 Sep, 2024 08:00 AM

paryushan parv

जैन परंपरा में सम्वत्सरी महापर्व सर्वोपरि है। एक वर्ष पश्चात आने वाली तिथि, जब साधक आत्म निरीक्षण कर मन, वाणी और शरीर द्वारा किए गए पापों का प्रायश्चित एवं पश्चाताप

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Paryushan Parv 2024: जैन परंपरा में सम्वत्सरी महापर्व सर्वोपरि है। एक वर्ष पश्चात आने वाली तिथि, जब साधक आत्म निरीक्षण कर मन, वाणी और शरीर द्वारा किए गए पापों का प्रायश्चित एवं पश्चाताप कर आत्मशुद्धि करता है, सम्वत्सरी कहलाती है। इस दिन विशेष आध्यात्मिक साधनाएं कर बाह्य प्रवृत्तियों से सर्वथा निवृत्ति लेकर आत्म चिंतन एवं मनन किया जाता है। किसी कारण अपने साथ हुए मनमुटाव को दूर कर वैर-विरोध को तिलांजलि देकर मैत्री के मधुर सम्बन्ध स्थापित किए जा सकते हैं।
मानव अपूर्ण होने के कारण गलतियों का पुतला है। गलती को स्वीकार कर लेना वीरता और उसे न दोहराना विवेक है। दूसरों की त्रुटियों को क्षमा करना और अपनी भूलों के लिए हृदयपूर्वक क्षमायाचना करना इस पर्व की अराधना का विशेष उद्देश्य है। क्षमा मांगना कठिन होता है क्योंकि क्षमा मांगने में लज्जा, हीनता तथा संकोच का अनुभव होता है।

माफी मांगने के लिए झुकना पड़ता है और अहं को ठेस पहुंचानी पड़ती है। अहंभाव को त्यागे बिना व्यक्ति महान नहीं बन सकता।  क्षुद्र विचारों वाले व्यक्ति क्षमा के दैवी गुण की महत्ता को नहीं समझ पाते। क्षमाशील के लिए स्वर्ग का द्वार सदैव खुला रहता है। क्षमा न करने वाला आपसी मेलजोल के उस पुल को तोड़ देता है जिस पर कभी उसे भी चलना पड़ सकता है। क्षमा मांगे और दिए बगैर दिल अशान्त और आकुल-व्याकुल रहता है। क्षमा सुंदर, स्वस्थ संसार का सृजन करने वाली दिव्य शक्ति है। क्षमाशीलता महानता का लक्षण है।

क्षमा दुर्बलों का नहीं, वीरों का लक्षण है क्योंकि कायर व्यक्ति न तो क्षमा मांग सकता है और न दे सकता है। सुदृढ़ मानसिक तथा आत्मिक शक्ति के स्वामी ही अपनी गलती मानकर आत्मशुद्धि के लिए प्रयास कर सकते हैं। क्षमा भाव हृदय-कोष को आह्लाद से परिपूर्ण करता है, सभी प्राणियों से मैत्री के सूत्र सुदृढ़ करता है और भय तथा वैर से छुटकारा दिलाता है।

आइए आज क्षमा पर्व के दिन मन की गांठ खोलकर वैर-विरोध तथा विद्वेष को बाहर निकालकर प्रेम एवं मैत्री की प्रतिष्ठा करें, स्वयं को हल्का-फुल्का बनाएं क्योंकि दुर्भावनाओं का बोझ सबसे अधिक भारी होता है और उसी स्थिति में इस पर्व की अराधना सार्थक हो सकती है।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!