रावण के ‘पुष्पक विमान’ से खुलेंगे विश्व की ‘पहली’ उड़ान के राज

Edited By Updated: 26 Dec, 2021 12:15 PM

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लंका के राजा रावण का पुष्पक विमान सदियों से कौतूहल का विषय रहा है। रामायण में इस विमान का जिक्र है। आधुनिक काल का पहला विमान 1903 में राइट बंधुओं ने उड़ाया था और विज्ञान रावण के पुष्पक विमान को मिथक मानता है पर

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Pushpak Viman: लंका के राजा रावण का पुष्पक विमान सदियों से कौतूहल का विषय रहा है। रामायण में इस विमान का जिक्र है। आधुनिक काल का पहला विमान 1903 में राइट बंधुओं ने उड़ाया था और विज्ञान रावण के पुष्पक विमान को मिथक मानता है पर बहुत से लोगों का मानना है कि भले ही तकनीक कुछ और रही होगी पर रावण के पास पुष्पक विमान था। अब इस विषय में श्रीलंका में एक शोध शुरू हुआ है। श्रीलंका में बहुत से लोगों का मानना है कि रावण के पास पुष्पक विमान था।

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पर्यावरणविद् सुनेला जयवर्धने ने अपनी किताब में रावण के विमान को लेकर कई बातें लिखी हैं। अब श्रीलंका में रावण के पुष्पक विमान को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ रही है। रावण के सम्मान में श्रीलंका ने अंतरिक्ष में एक उपग्रह भी भेजा है जिसका नाम ‘रावण’ है। दो साल पहले नागरिक उड्डयन विशेषज्ञों, इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और वैज्ञानिकों की कोलंबो में हुई एक कॉन्फ्रेंस के दौरान इस विचार को मजबूती दी गई थी। तब इस बात पर सहमति बनी थी कि दुनिया में पहली बार रावण ने विमान उड़ाया था। यह उड़ान श्रीलंका से भारत तक की थी और फिर इसके बाद रावण वापस विमान से श्रीलंका लौटा था।

उक्त कांफ्रैंस के बाद तत्कालीन श्रीलंका सरकार ने 50 लाख रुपए की ग्रांट जारी की थी जिससे रिसर्च शुरू की जा सके। श्रीलंका नागरिक उड्डयन अथॉरिटी के पूर्व चेयरमैन शशि दानातुंगे कहते हैं, ‘‘कोरोना लॉकडाऊन के कारण रिसर्च रोकनी पड़ी थी। वर्तमान राजपक्ष सरकार रिसर्च को फिर शुरू करने के पक्ष में है। मैं उम्मीद करता हूं कि अगले साल की शुरूआत में ये रिसर्च दोबारा शुरू की जा सकती है।’’  

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इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले शशि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। वह अपने देश में नागरिक उड्डयन का इतिहास जानने के लिए अच्छा-खासा सफर कर चुके हैं। वह कहते हैं, ‘‘मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि रावण एक मिथकीय चरित्र नहीं है। वह एक वास्तविक राजा थे। उनके पास वास्तविकता में विमान और विशेषज्ञ थे। संभव है कि वह आज जैसा विमान नहीं था परंतु निश्चित तौर पर पुरातन समय में श्रीलंका और भारतीय लोगों के पास उन्नत तकनीक मौजूद थी। हमें इसके लिए गहनता से रिसर्च करने की आवश्यकता है।’’ 

शशि ने भारत से भी इस रिसर्च का हिस्सा बनने को कहा है। उनका कहना है कि यह रिसर्च दोनों ही देशों के लिए प्राचीन गौरव के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

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