Ramayana Story: जब मेघनाद का कटा सिर जोर-जोर से हंसने लगा...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Oct, 2023 08:22 AM

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राम-रावण के युद्ध में मेघनाद ने बड़ा पराक्रम दिखाया। वह श्री राम और लक्ष्मण जी को मारना चाहता था। इस प्रयास में उसने लक्ष्मण जी पर प्राणघातक शक्ति का प्रयोग किया था,

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Ramayana Story: राम-रावण के युद्ध में मेघनाद ने बड़ा पराक्रम दिखाया। वह श्री राम और लक्ष्मण जी को मारना चाहता था। इस प्रयास में उसने लक्ष्मण जी पर प्राणघातक शक्ति का प्रयोग किया था, जिससे लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे। वैद्य सुषेण के कहने पर हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाने में सहायता की थी।

उसके बाद के युद्ध के दौरान मेघनाद ने राम-लक्ष्मण को मारने के अनेक प्रयत्न किए परन्तु विफल रहा। इस युद्ध में लक्ष्मण जी के घातक बाणों से मेघनाद मारा गया। लक्ष्मण जी ने मेघनाद का सिर उसके शरीर से अलग कर दिया। उसका सिर श्रीराम के आगे रखा गया। सभी रीछ और वानर उसे देखने लगे।

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तब श्री राम ने कहा, ‘‘इसके सिर को संभालकर रखो।’’

दरअसल, श्रीराम मेघनाद की मृत्यु की सूचना मेघनाद की पत्नी सुलोचना को देना चाहते थे। उन्होंने मेघनाद की एक भुजा को बाण के द्वारा मेघनाद के महल में पहुंचा दिया। वह भुजा जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना ने देखी तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है।

उसने भुजा से कहा, ‘‘अगर तुम वास्तव में मेघनाद की भुजा हो तो मेरी दुविधा को लिखकर दूर करो।’’

सुलोचना के इतना कहते ही भुजा हरकत करने लगी। तब एक सेविका ने खड़िया लाकर उस हाथ में रख दी। उस कटे हुए हाथ ने आंगन में लक्ष्मण जी की प्रशंसा के शब्द लिख दिए। तब सुलोचना को विश्वास हो गया कि युद्ध में उसका पति मारा गया है। सुलोचना इस समाचार को सुनकर रोने लगी। फिर वह रथ में बैठकर रावण से मिलने चल पड़ी। सुलोचना ने रावण को मेघनाद का कटा हुआ हाथ दिखाया और अपने पति का सिर मांगा।

सुलोचना ने रावण से कहा, ‘‘अब मैं एक पल भी जीवित नहीं रहना चाहती। मैं मेरे पति के साथ सती होना चाहती हूं।’’

तब रावण ने कहा, ‘‘पुत्री, चार घड़ी प्रतीक्षा करो, मैं मेघनाद का सिर शत्रु से लेकर आता हूं।’’

परन्तु सुलोचना को रावण की बात पर विश्वास नहीं हुआ। सुलोचना इसके बाद मंदोदरी के पास गई।

तब मंदोदरी ने कहा, ‘‘तुम राम के पास जाओ, वह बहुत दयालु हैं।’’

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सुलोचना जब राम के पास पहुंची तो उसका परिचय विभीषण ने करवाया।

सुलोचना ने राम से कहा, ‘‘हे राम, मैं आपकी शरण में आई हूं। मेरे पति का सिर मुझे लौटा दें ताकि मैं सती हो सकूं।’’

सुलोचना की दशा देखकर श्री राम द्रवित हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे पति को अभी जीवित कर देता हूं।’’

सुलोचना ने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहती कि मेरे पति जीवित होकर संसार के कष्टों को भोगें। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आपके दर्शन हो गए। मेरा जन्म सार्थक हो गया। अब जीवित रहने की कोई इच्छा नहीं।’’

राम के कहने पर सुग्रीव मेघनाद का सिर ले आए परन्तु उनके मन में एक आशंका थी कि मेघनाद के कटे हाथ ने लक्ष्मण जी का गुणगान कैसे किया।

 सुग्रीव से रहा नहीं गया और उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुलोचना की बात को तभी सच मानूंगा जब वह नरमुंड हंसेगा।’’

सुलोचना के सतीत्व की यह बहुत बड़ी परीक्षा थी।

उसने कटे हुए सिर से कहा, ‘‘हे स्वामी ! जल्दी हंसिए, वरना आपके हाथ ने जो लिखा है, उसे ये सब सत्य नहीं मानेंगे। इतना सुनते ही मेघनाद का कटा सिर जोर-जोर से हंसने लगा। इस तरह सुलोचना अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर चली गई।

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