Red Light area Durga Puja: जिनकी चौखट की मिट्टी बगैर नहीं बनती दुर्गा प्रतिमा उन्हीं की पूजा को न मिला उद्घाटनकर्त्ता

Edited By Updated: 23 Oct, 2023 10:12 AM

red light area durga puja

शीर्षक पढ़ कर चौकिए मत। ऐसा सौ फीसदी हुआ है और इस बात से यौनकर्मियों में खासी नाराजगी है। जी हां, एशिया की सबसे बड़ी लाल बत्ती (रैड लाइट) सोनागाछी (कोलकाता) इलाके की यौनकर्मियों

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शीर्षक पढ़ कर चौकिए मत। ऐसा सौ फीसदी हुआ है और इस बात से यौनकर्मियों में खासी नाराजगी है। जी हां, एशिया की सबसे बड़ी लाल बत्ती (रैड लाइट) सोनागाछी (कोलकाता) इलाके की यौनकर्मियों द्वारा आयोजित की जाने वाली दुर्गा पूजा को इस बार न प्रचारक मिला, न प्रायोजक और न ही उद्घाटनकर्त्ता। यह आलम तब है, जब इन यौनकर्मियों की चौखट की मिट्टी मिलाए बगैर देवी की प्रतिमा का निर्माण पूरा ही नहीं होता और उन्हीं की पूजा को प्रचारक, प्रायोजक व उद्घाटनकर्त्ता का टोटा नजर आ रहा है।

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शहर के लालबत्ती (सोनागाछी) इलाके में 11 हजार यौनकर्मी स्थायी तौर पर रहती हैं। इसके अलावा उपनगरों से भी औसतन तीन हजार महिलाएं यहां आती हैं। दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार है। 

राजधानी कोलकाता में आयोजित होने वाली सैकड़ों पूजा समितियों का बजट करोड़ों में होता है। वे अपनी पूजा, पंडाल और इसकी परिकल्पना (थीम) के प्रचारक के तौर पर अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को ‘ब्रांड एम्बैसेडर’ बनाते रहे हैं, लेकिन सोनागाछी की यौनकर्मियों को यह सहूलियत नहीं मिली। प्रचारक व प्रायोजक तो दूर, यौनकर्मियों की पूजा को उद्घाटनकर्त्ता भी नहीं मिला। ऐसा क्यों हुआ ? इस सवाल के जवाब में नाम न छापने की शर्त पर एक यौनकर्मी ने बताया कि कम बजट और बदनाम पेशा होने के कारण शायद ऐसा हुआ है।

पूजा आयोजक व यौनकर्मियों की रक्षार्थ काम करने वाली दुर्बार महिला समन्व्य समिति की सचिव विशाखा नस्कर बताती हैं कि हमने प्रचारक, प्रायोजक व उद्घाटनकर्त्ता के लिए कई नामचीन हस्तियों से संपर्क किया, लेकिन किसी ने भी अपनी सहमति नहीं जताई। किसी ने साफ इंकार कर दिया तो किसी ने टालमटोल-सा उत्तर दिया। 

उन्होंने बताया कि 8 लाख की बजट वाली उनकी पूजा का उद्घाटन महापंचमी को सामान्य तरीके से किया गया और इसके बाद से दर्शनार्थियों का तांता लगना शुरू हो गया। पूजा आयोजित करने को लेकर हुए संघर्ष का जिक्र करते हुए नस्कर ने बताया कि यौनकर्मी 2013 से ही दुर्गापूजा आयोजित कर रही हैं, लेकिन इस साल उनकी पूजा को प्रचारक, प्रायोजक व उद्घाटनकर्त्ता नहीं मिला। 

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उनके अनुसार यौनकर्मी वर्ष 2013 से ही एक कमरे में पूजा आयोजित करती आ रही हैं, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वर्ष 2017 में यौनकर्मियों को सार्वजनिक तौर से पूजा करने की अनुमति मिली। वर्ष 2018 में यौनकर्मियों के दुर्गा पूजा आयोजन ने देश-विदेश में सुर्खियां बटोरीं। 

तब उनके पंडाल में भारी भीड़ जुटी थी, लेकिन इस साल प्रचारक, प्रायोजक व उद्घाटनकर्त्ता न मिलने से ज्यादातर यौनकर्मी मायूस हैं। हालांकि, अर्जुनपुर तालतला आमरा सबाई क्लब के समर्थक से यौनकर्मियों को थोड़ी राहत मिली है। उक्त क्लब ने भोग (प्रसाद) का जिम्मा लिया है। इसके अलावा कुछ नकद सहायता भी दी है।

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