भगवान विष्णु के इस भयानक रूप को देखकर लक्ष्मी अपने धाम को लौट गई

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 10:58 AM

religious story of narsingh dev

विष्णु पुराण में भगवाान श्री हरि विष्णु के दशावतार का वर्णन है, जिसमें से एक अवतार इतना भयानक था की जिसे पहली दृष्टि में देखकर उनकी प्राणप्रिया देवी लक्ष्मी भाग खड़ी हुई थी। विष्णु पुराण में बताया गया है, चौथे अवतार के रूप में श्री हरि एक खंबे से...

विष्णु पुराण में भगवाान श्री हरि विष्णु के दशावतार का वर्णन है, जिसमें से एक अवतार इतना भयानक था की जिसे पहली दृष्टि में देखकर उनकी प्राणप्रिया देवी लक्ष्मी भाग खड़ी हुई थी। विष्णु पुराण में बताया गया है, चौथे अवतार के रूप में श्री हरि एक खंबे से प्रकट हुए थे। जिस समय वो प्रकट हुए थे न तो उस समय दिन था और न रात थी। न ही वो मनुष्य थे और न संपूर्ण पशु। अपने संपूर्ण क्रोध से उन्होंने संसार को उग्रवीर की संज्ञा दी। भयानक दिखने वाला विष्णु का ये रूप आधा शेर और आधा मनुष्य के रूप में अवतरित हुआ था। वैसे तो हर अवतार में लक्ष्मी भी विष्णु के साथ अवतरित होती हैं परंतु इस अवतार में विष्णु का क्रोध और उनका चेहरा इतना भयानक था जिसे देखकर लक्ष्मी अपने धाम को लौट गई थी।


इस अवतार में उनके मुख से आग निकल रही थी तथा उनके दांत और पंजे खून से सने थे। इसी कारण इन्हें ज्वलंत सर्वोत्तम मुखम कहा गया है। विष्णु का यह अवतार मृत्यु को भी मात देता है। दशावतार के इस चौथे अवतार को भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार कहा जाता है। इन्हें देखकर धबराई हुई लक्ष्मी वापिस भी लौट आई तब भगवान नृसिंह ने अपनी जंघा पर लक्ष्मी को बैठा कर उन्हें आसन दिया और इसी रूप में भगवान का लक्ष्मी नृसिंह रूप संसार के सामने आया। 


नृसिंह विग्रह के शास्त्रों ने 10 भेद बताए हैं उसमें से नवा भेद लक्ष्मी नृसिंह का है। गौड़िया वैष्णव संप्रदाय ने लक्ष्मी नृसिंह स्वरूप की स्तुति करते हुए श्री नृसिंह त्वन की रचना भी की है। जिसके अनुसार- वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि। यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥


27 फरवरी को नृसिंह द्वादशी का पर्व है, इस दिन भगवान नृसिंह और लक्ष्मी भक्तों के ऋणों का हनन करते हैं। इसलिए इन्हें ऋण मोचन कहा जाता है। अत: इस रूप में यह अपने भक्त को ऋण से मुक्त कर ताकतवर बनाते हैं। 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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