परम्पराओं के अनुसार नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीवाली भक्ति पूजा करने से बाह्य व आंतरिक सुंदरता व रूप का वरदान मिलता है इसलिए इस दिन को रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। नरकासुर के मारे जाने की खुशी में लोगों ने दीवाली से एक दिन पहले ही घी के दीपक जलाकर छोटी दीवाली मनाई थी तब से आज तक रात को नरक चौदस छोटी दीवाली के रूप में मनाए जाने की परम्परा है। इस दिन भी मां लक्ष्मी जी का गणेश जी सहित पूजन किया जाता है तथा उन्हें अपने घर आने की विनती की जाती है।
माना जाता है कि इसी दिन भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी तथा भगवान के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। इसी दिन अंजनि पुत्र बजरंग बली श्री हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। शास्त्रानुसार वैसे तो हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है लेकिन उत्तर भारत के कई भागों में हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात को हनुमान जी की जयंती के रूप में मनाने की परंपरा है। लोग दीपक जला कर छोटी दीवाली के रूप में यह दिन मनाते हैं। इसी कारण रात को हनुमान जी का पूजन एवं श्री सुंदर कांड का पाठ भी किया जाता है।
यह उपाय करने से पाप और नर्क से मुक्ति मिलेगी, सदाबाहर जवान रहेंगे आप। इसके अतिरिक्त बढ़ती उम्र के साथ भी बन सकते हैं खूबसूरत।
नरक चौदस के दिन सायं 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख करके घर के मुख्य द्वार पर रखें तथा
‘दत्तो दीप: चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया। चतुर्वर्ति समायुक्त: सर्व पापा न्विमुक्तये।’
मंत्र का जाप करें और नए पीले रंग के वस्त्र पहन कर भगवान का पूजन करें।
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