Rukmini Ashtami: ये है घर में धन-सम्पदा, खुशहाली लाने की विधि और कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jan, 2024 08:13 AM

rukmani ashtami

आज भगवान श्री कृष्ण की पहली पत्नी श्री रुक्मिणी देवी की अष्टमी है। वह भगवान की सोलह हजार एक सौ आठ रानियों में श्रेष्ठ थी। उन्होंने विवाह से पहले साधु-संतों के मुख से श्री कृष्ण की लीलाओं का रसपान किया था। उनके

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Rukmini Ashtami Vrat Katha: आज भगवान श्री कृष्ण की पहली पत्नी श्री रुक्मिणी देवी की अष्टमी है। वह भगवान की सोलह हजार एक सौ आठ रानियों में श्रेष्ठ थी। उन्होंने विवाह से पहले साधु-संतों के मुख से श्री कृष्ण की लीलाओं का रसपान किया था। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उन्होंने उनसे विवाह करने का निश्चय किया और पत्र के राही उन्हें अपने दिल की बात बताई। रुक्मिणी जी का भाई उनका विवाह शिशुपाल से करना चाहता था लेकिन रुक्मिणी जी मन में श्री कृष्ण को अपना पति मान चुकी थी। 

PunjabKesari rukmani

जिस दिन शिशुपाल और रुक्मिणी का विवाह था उस दिन वह सुबह गौरी पूजन के लिए अपनी सखियों के साथ मंदिर में गई। वहां उन्होंने मां गौरी से भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने की प्रार्थना करी। जब वह मंदिर से बाहर निकली तो श्रीकृष्ण ने उनका हाथ थाम कर अपने रथ में बिठा लिया और उन्हें द्वारका की ओर लेकर चल पड़े। 
 
जब रूक्मिणी के भाई रूक्मी को इस बात का पता लगा तो वह बड़ी सेना लेकर श्रीकृष्ण के साथ युद्ध करने लगे। श्रीकृष्ण ने उसे युद्ध में हराकर अपने रथ से बांध दिया, किन्तु बलराम जी ने उसे छुड़ा लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी को द्वारका ले जाकर उनके साथ विधिवत प्रथम विवाह किया। प्रद्युम्न जी उन्हीं के गर्भ से उत्पन्न हुए थे, जो कामदेव के अवतार थे। 

PunjabKesari rukmani ashtami
Rukmini Ashtami Puja: माना जाता है की आज के दिन भगवान श्री कृष्ण, देवी रूक्मिणी और उनके बेटे प्रद्युम्न जी का पूजन करने से घर में हमेशा सुख-शांति, धन-सम्पदा और खुशहाली बनी रहती है। जिन लोगों की शादी न हो रही हो उन्हें अवश्य यह पूजन करना चाहिए।

PunjabKesari rukmani ashtami

Rukmini Ashtami 2024: भगवान श्री कृृष्ण की 8 पटरानियां थी, जिनसे उन्होंने अलग-अलग परिस्थितियों में विवाह किए थे। श्रीमद् भागवत के अनुसार नरकासुर नाम का एक बड़ा ही पराक्रमी राक्षस था। उसने देवताओं के भांति-भांति के रत्न ऐरावत हाथी, श्रवा घोड़ा, कुबेर के मणि व माणिक्य तथा पद्मनिधि नामक शंख भी उनसे छीन लिए थे। एक दिन सभी देवता नरकासुर के भय से पीड़ित होकर शचीपति इंद्र को साथ लेकर भगवान श्री कृष्ण के पास सहायता के लिए गए। उनकी सभी चेष्टाएं सुनकर भगवान श्री कृष्ण गरुड़ पर सवार होकर नरकासुर की नगरी में आए। घमासान युद्ध हुआ तथा भगवान ने उसकी छाती पर जब दिव्य शस्त्र से प्रहार किया तो नरकासुर धरती पर गिर पड़ा। भगवान ने विभिन्न राजाओं की 16000 कन्याओं को नरकासुर की कैद से रिहा कराया और उन्हें अपने-अपने घर लौटने को कहा। उन कन्याओं ने भगवान से कहा, ये समाज हमें स्वीकार नहीं करेगा, कृपया आप हमें अपना लें। तब भगवान ने 16000 कन्याओं से एकसाथ विवाह किया।

PunjabKesari rukmani ashtami

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!