Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2021 08:38 AM
श्री सत्य साई बाबा का जन्म 23 नवम्बर, 1926 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव पुट्टापर्ती में माता ईश्वरम्मा की कोख से हुआ। जब सत्य नारायण का जन्म हुआ तो घर में पड़े सभी वाद्य यंत्र अपने आप बजने लगे और जिस पालने में सत्य नारायण (बाबा का बचपन का नाम)...
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Sathya Sai Baba Jayanti 2021: श्री सत्य साई बाबा का जन्म 23 नवम्बर, 1926 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव पुट्टापर्ती में माता ईश्वरम्मा की कोख से हुआ। जब सत्य नारायण का जन्म हुआ तो घर में पड़े सभी वाद्य यंत्र अपने आप बजने लगे और जिस पालने में सत्य नारायण (बाबा का बचपन का नाम) लिटाया गया था उस पालने को एक नाग देवता ने अपने फन से झुलाया, जिसे देख कर घर के सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। सत्य, धर्म, शांति, प्रेम एवं अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साई बाबा का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। मात्र 14 वर्ष की आयु में श्री सत्य नारायण राजू ने अपने परिवारजनों को यह कहा कि वह शिरडी के साई बाबा हैं और मैंने उनकी मृत्यु के 8 वर्ष बाद जन्म लिया है। अब मैं उनके शेष कार्य करने जा रहा हूं। इतना कहकर उन्होंने घर त्याग दिया, फिर घर लौटकर नहीं आए। बाबा ने गांव के एक पेड़ के नीचे बैठकर अपना जीवन व्यतीत करना प्रारंभ कर दिया।
वर्ष 1949 में पुट्टापर्ती गांव से लगभग एक मील की दूरी पर बाबा ने एक आश्रम का निर्माण करवाया जिसका डिजाइन बाबा ने स्वयं तैयार किया। 23 नवम्बर, 1950 को अपने 23वें जन्म दिवस पर इस आश्रम का उद्घाटन पूर्ण विधि-विधान से किया गया। यह आश्रम आज प्रशांति निलयम (शांति का घर) नाम से प्रसिद्ध है जो विश्व का विशाल आध्यात्मिक, शैक्षणिक और सेवा का केंद्र बन चुका है। यहां हृदय रोगों से संबंधित एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल एवं एक विद्यालय है। यहां आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान की जाती है। बाबा का मानव धर्म सम्पूर्ण विश्व में सत्य साई सेवा संगठन के नाम से फैला हुआ है। बच्चों को नैतिक शिक्षा प्रदान करने के लिए देश भर में प्रत्येक रविवार को बाल विकास की कक्षाएं लगाई जाती हैं, जिनमें बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचित भी करवाया जाता है।
24 अप्रैल, 2011 को मानवता के मसीहा, सत्य, धर्म, शांति, प्रेम व अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साई बाबा इस नश्वर संसार को छोड़ कर प्रभु चरणों में लीन हो गए और पीछे छोड़ गए करोड़ों अनुयायी।