Edited By Jyoti,Updated: 10 Jul, 2020 03:28 PM
यूं तो कहते हैं शिव जी समस्त देवों में से सबसे भोले देव हैं। इसी भोलेपन में ये अपने प्रत्येक अनुयायी पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
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यूं तो कहते हैं शिव जी समस्त देवों में से सबसे भोले देव हैं। इसी भोलेपन में ये अपने प्रत्येक अनुयायी पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। बल्कि कहा जाता है अगर श्रद्धा विश्वास से कोई इन पर कंकर भी अर्पित करता है तो ये उस पर भी प्रसन्न हो जात हैं। इन सभी बातों के कहने का अर्थ यही है कि इन्हें प्रसन्न कर इनकी कृपा पाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। सावन में तो इन्हें प्रसन्न करना और भी आसान होता है। मगर कुछ लोग इस सोच में पड़े रहते हैं कि इन्हें प्रसन्न किया कैसा जाए। तो आपको बता दें हम आपको कोरोना काल में मंदिर जातक पूजा न कर पाने वाले जातकों के लिए इन्हें खुश करने का सबसे सरल बताने वाले हैं। इससे पहले आप सोच में पड़ें, बताते हैं सावन में अपनाया जाने वाला सबसे चमत्कारी उपाय, जिसे अपनाने वाला निश्चित ही शिव कृपा का हकदार बनता है।
शिवलिंग का अभिषेक करने का खासा महत्व है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी महीने में कालों के काल महाकाल ने विषपान किया था जिस कारण उनका गला जलने लगा था, उन्हें राहत पहुंचाने के लिए समस्त देवताओं ने उनका गंगाजल तथा दूध से अभिषेक किया था। जिसके बाद से ये परंपरा प्रचलित हुई। परंतु कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इस दौरान चाहते हुए भी इस परंपरा के अनुसार शिव जी को गंगाजल अर्पित नहीं कर पाते। तो ऐसे में केवल एक छोटा सा मंत्र आपको इस काम का लाभ प्राप्त करवा सकता है। जी हां, शास्त्रों की मानें तो महामृत्युंजय मंत्र। वो चमत्कारी मंत्र है, जो व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं को तो पूरा करती ही है, साथ ही मृत्यु के भय को भी दूर करता है। बल्कि शास्त्रों की मानें तो इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति मौत के मुंह में करीब जाकर भी सही सलामत वापिस आ जाता है। मगर कुछ लोग इसका जप करते इसके उच्चारण करते समय रखी जाने वाली सावधानियों को भूल जाते हैं। जिस कारण उन्हें इसका फल प्राप्त नहीं होता।
तो इसका जप करते समय किन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य माना जाता है आइए जानते हैं-
महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
मंत्र जप करते समय इन सावधानियों का रखें ध्यान-
प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भगवान शिव के किसी भी मंत्र का जप करें, उसका उच्चारण स्पष्ट हो और धीमी आवाज़ में हो। अगर मंत्र बोलने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई आए तो कोशिश करें कि हमेशा इसका जप मन में ही करें।
मंत्र जप के दौरान भगवान शंकर के समक्ष दीप-धूप जलती रहनी चाहिए। और इस दौरान जातक का मुख हमेशा उत्तर या पूर्व की दिशा की ओर हो।
सावन तथा शिवरात्रि के दौरान किसी भी शिव मंदिर में बैठकर इनके किसी भी मंत्र का निश्चित संख्या में जप करें
कहा जाता है अगर मंदिर में जप करना संभव न हो तो गौशाला या नदी किनारे बैठकर इस मंत्र का जप कर सकते हैं। और यदि ये भी संभव न हो तो घर पर भी इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।