Shrikhand Mahadev Yatra: दैत्य के खून से आज भी लाल है श्रीखंड महादेव की धरती

Edited By Updated: 16 Jul, 2025 02:01 PM

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Shrikhand Mahadev Yatra 2025: श्रीखंड महादेव यात्रा सम्पूर्ण संसार की जटिल और कठोर यात्राओं में से एक है। जो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के निरमंड विकास खंड के तहत आती है। इस यात्रा का आरंभ निरमंड से शुरू होता है और 32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद...

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Shrikhand Mahadev Yatra 2025: श्रीखंड महादेव यात्रा सम्पूर्ण संसार की जटिल और कठोर यात्राओं में से एक है। जो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के निरमंड विकास खंड के तहत आती है। इस यात्रा का आरंभ निरमंड से शुरू होता है और 32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होता है। यहां भोलेनाथ का शिवलिंग है। इस यात्रा के दौरान रास्ते में लगभग एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं आती हैं। श्रीखंड से लगभग 50 मीटर पहले देवी पार्वती, श्री गणेश और कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं हैं।

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श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों से गुजरना होता है। जहां बहुत बड़ी संख्या में बर्फ के गलेशियरों को पार करना होता है।

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ऊंचाई वाले ऐसे स्थान भी आते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी और फिसलन भरे रास्तों से रुबरु होना पड़ता है। पार्वती बाग से आगे कुछेक ऐसे क्षेत्र पड़ते हैं, जहां कुछ श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी दिक्कतें पेश आती हैं।

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कहा जाता है कि भस्मासुर दैत्य ने भगवान शिव की तपस्या करके वर मांगा था कि वह जिस के शीश पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए। वर पाने के उपरांत भस्मासुर अंहकारवश भगवान शंकर के पीछे भागा था, जिसके कारण भोलेनाथ को गुफा में छिपना पड़ा था। भोलेनाथ इन्हीं पहाड़ों की गुफा में छिपे थे।

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दैत्य के भय से मां पार्वती रोने लगी और कहा जाता है कि उनके आंसुओं से ही नयनसरोवर बना था। इस सरोवर की धारा यहां से 25 कि.मी. नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है।

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ये भी कहा जाता है कि जब पांडव 13 वर्ष के वनवास के लिए गए थे तो कुछ समय के लिए इस स्थान पर रुके थे। यहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों को काटकर रखा गया है जो इस बात का प्रमाण है।

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इस स्थान पर आने वाले श्रद्धालुओं को एक दैत्य मार कर खा जाता था, उसे पांडवों ने मारा था। उस दैत्य का रक्त जहां पर पड़ा था, वह जगह लाल रंग की हो गई थी, आज भी वहां यह स्थान लाल ही है। रात के वक्त भीमडवार में कई जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। माना जाता है कि यहां संजीवनी बूटी भी है।

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रास्ते में पार्वती बाग भी है, इसके बारे में कहा जाता हैं कि इस स्थान पर आज भी रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं जो इस जगह के अतिरिक्त कहीं और नहीं मिलते। श्रीखंड जाते समय रास्ते में बहुत से पर्वत आते हैं जो बर्फ से ढके और जड़ी-बूटियों से लदे हैं।

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श्रद्धालु भोलेनाथ का नाम जपते संकरे रास्तों से होकर आगे बढ़ते जाते हैं। यहां जाने के लिए भक्तों का मेडिकली फिट होना जरुरी है। प्रत्येक भक्तों को पंजीकरण करवाना पड़ता है। 

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श्रीखंड पहुंचने के लिए रामपुर बुशहर से 35 कि० मी० की दूरी तय करके बागीपुल या अरसू सड़क के रास्ते से पहुंचा जा सकता है। रास्ते में बहुत से मंदिर आते हैं। उसके बाद बागीपुल से 7 कि० मी० दूर जांव गांव है, वहां तक गाड़ी द्वारा जा सकते हैं। इसके आगे 25 कि.मी. की सीधी चढ़ाई पैदल करनी पड़ती है।

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