Shukra Pradosh Vrat Masik Shivaratri: शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर न करें इन वास्तु नियमों की अनदेखी, अधूरी रहेगी पूजा

Edited By Updated: 19 Sep, 2025 06:51 AM

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Shukra Pradosh Vrat Monthly Shivaratri 2025: शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम अवसर माने जाते हैं। पूजा करते समय यदि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो साधना और...

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Shukra Pradosh Vrat Monthly Shivaratri 2025: शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम अवसर माने जाते हैं। पूजा करते समय यदि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो साधना और भी प्रभावी होती है। इन नियमों का पालन करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर साधक पर विशेष कृपा बरसाते हैं। इस दिन पति-पत्नी साथ मिलकर शिव-पार्वती की आराधना करें तो वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और सुख-समृद्धि आती है। शुक्र प्रदोष और मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त आराधना होती है। व्रती को स्वास्थ्य, वैवाहिक सुख और पितृऋण से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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Vastu rules and precautions on Shukra Pradosh fast and monthly Shivaratri शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर वास्तु नियम और सावधानियां
पूजा स्थान की दिशा– पूजा हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में करना श्रेष्ठ माना गया है। शिवलिंग को उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके स्थापित करें।

बैठने की दिशा– व्रती को पूजन करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

शिवलिंग पर जलाभिषेक– जल, दूध या गंगा जल चढ़ाते समय जलधारा उत्तर दिशा की ओर गिरनी चाहिए। जल चढ़ाने का पात्र तांबे का होना शुभ होता है।

दीपक का स्थान– दीपक को अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें। घी का दीपक शिव पूजन में सर्वश्रेष्ठ है।

नैवेद्य और प्रसाद– बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प और मौसमी फल शिवजी को अर्पित करें। प्रसाद को पूजा स्थान के उत्तर दिशा में रखें।

शांति और पवित्रता – पूजा स्थल पर अत्यधिक शोर, गंदगी या अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। घर के मुख्य द्वार और मंदिर में हल्की सुगंधित धूप या कपूर अवश्य जलाएं।

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Shukra Pradosh fast and monthly Shivaratri worship method शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
व्रत का संकल्प सुबह स्नान के बाद लें। घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्वच्छ पूजा स्थल तैयार करें। एक पवित्र शिवलिंग या चित्र/प्रतिमा स्थापित करें। पास में माता पार्वती का चित्र भी रखें। आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। दीपक जलाएं (घी का दीपक दक्षिण-पूर्व में रखें)। गंगा जल से आचमन करें और ॐ नमः शिवाय का 11 बार जप करें। शिवलिंग पर क्रमशः जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। प्रत्येक अभिषेक के समय मंत्र का जप करें।

मंत्र- ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्  

अंत में स्वच्छ जल से स्नान कराकर सफेद वस्त्र अर्पित करें। शिव जी को बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प और अक्षत अर्पित करें। माता पार्वती को लाल पुष्प, सिंदूर, सुपारी और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें।

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Chant mantras on Shukra Pradosh fast and monthly Shivaratri शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर मंत्र जाप
शिवजी के लिए –
ॐ नमः शिवाय का कम से कम 108 बार जप।
पार्वती माता के लिए – ॐ पार्वत्यै नमः का 51 बार जप।
संयुक्त रूप से – ॐ शिवायै शिवाय नमः का 21 बार जप।

Shukra Pradosh fast and monthly Shivaratri story reading and prayer शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि कथा वाचन और प्रार्थना
प्रदोष व्रत या मासिक शिवरात्रि की कथा सुनें या पढ़ें।

Shukra Pradosh fast and monthly Shivaratri Samapan शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि समापन
भगवान शिव-पार्वती की आरती करें। प्रसाद बांटें और व्रत का संकल्प रात्रि जागरण या भजन-कीर्तन से पूर्ण करें।

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