Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jul, 2022 09:27 AM
4 जुलाई सोमवार को स्कन्द षष्ठी है, जिसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विधान है। नवरात्रि में नवदुर्गा के पांचवें रूप की पूजा कुमार कार्तिकेय की
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Skanda Sashti 2022 July: 4 जुलाई सोमवार को स्कन्द षष्ठी है, जिसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विधान है। नवरात्रि में नवदुर्गा के पांचवें रूप की पूजा कुमार कार्तिकेय की माता के रूप में होती है। तभी तो वो देवी स्कंदमाता कहलाती हैं। कहते हैं कि स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय के पूजन से जितनी प्रसन्न होती हैं, उतनी स्वयं के पूजन से भी नहीं होती। स्कंद शक्ति के अधिदेव हैं, देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया है। मयूर पर आसीन देव सेनापति कुमार कार्तिकेय की आराधना दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा होती है व यहां पर यह मुरुगन नाम से विख्यात हैं। प्रतिष्ठा विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से संपन्न होते हैं। स्कंद पुराण के मूल उपदेष्टा कुमार कार्तिकेय ही हैं तथा यह पुराण सभी पुराणों में सबसे विशाल है।
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Story of Lord Skanda शक्ति के अधिदेव भगवान स्कंद की कथा
भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद की छह कृतिकाओं ने स्तनपान करा रक्षा की थी। इनके छह मुख हैं और उन्हें कार्तिकेय नाम से पुकारा जाने लगा। पुराण व उपनिषद में इनकी महिमा का उल्लेख मिलता है। कार्तिकेय की जन्म कथा के विषय में पुराणों में ज्ञात होता है कि जब दैत्यों का अत्याचार और आतंक फैल जाता है और देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है, जिस कारण सभी देवता भगवान ब्रह्मा जी के पास पहुंचते हैं और अपनी रक्षार्थ उनसे प्रार्थना करते हैं। ब्रह्मा उनके दुख का कारण जानकर उनसे कहते हैं कि तारक का अंत भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव है परंतु सती के अंत के पश्चात भगवान शिव गहन साधना में लीन हुए रहते हैं। इंद्र और अन्य देव शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शिव उनकी पुकार सुनकर पार्वती से विवाह करते हैं। शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव जी और पार्वती का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है और कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनके स्थान प्रदान करते हैं।
Skanda Shashti Upay स्कन्द षष्ठी पर अवश्य करें ये उपाय
शिवालय में भगवान कार्तिकेय पर 6 तेल के दीपक जलाने से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धी परास्त होते हैं।
कार्तिकेय पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाने से व्यावसायिक बाधाएं दूर होती हैं।
भगवान कार्तिकेय पर चढ़ा मोर पंख फैक्ट्री, दुकान अथवा आफिस के दक्षिण पश्चिम कोण में रखने से धन आगमन में वृद्धि होती है।