Teachings of Lord Mahavira: भगवान महावीर के ये सिद्धांत, हर संकट से देंगे निकाल

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Mar, 2022 10:45 AM

teachings of lord mahavira

भगवान महावीर जितने अधिक सादगी प्रिय थे उतना ही हम अधिक आडम्बर से युक्त हो चुके हैं। भगवान महावीर ने जिस संयम के साथ जीवन व्यतीत किया यदि उसमें से अंश मात्र भी हम ग्रहण कर सकें तो हमारा जीवन सार्थक हो सकता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Teachings of Lord Mahavira: भगवान महावीर जितने अधिक सादगी प्रिय थे उतना ही हम अधिक आडम्बर से युक्त हो चुके हैं। भगवान महावीर ने जिस संयम के साथ जीवन व्यतीत किया यदि उसमें से अंश मात्र भी हम ग्रहण कर सकें तो हमारा जीवन सार्थक हो सकता है। मानव जीवन के कल्याण हेतु भगवान महावीर ने कुछ सिद्धांत दिए। उनमें से कुछ निम्रलिखित हैं : 

PunjabKesari Teachings of Lord Mahavira

सत्य : भगवान महावीर ने सत्य की परिभाषा देते हुए लिखा है कि ‘सच्च भयवं सच्चं लोय मिसार-भूयं’। अर्थात ‘सत्य ही ईश्वर है।’ जो तथ्य संसार में कुछ सार लिए हो या जो कुछ भी घटित हो रहा है, वही सत्य है।

अहिंसा : भगवान महावीर ने कहा, कि किसी प्राणीमात्र को कष्ट देना भी हिंसा की श्रेणी में आता है। प्राणी मात्र में जीव जंतु यहां तक कि पेड़-पौधों को कष्ट देना भी हिंसा ही है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ के अनुसार हिंसा के क्षेत्र में समाज ने इतनी विकृतियां पैदा कर ली हैं कि हम ‘अहिंसा परमो धर्म’ के अनुयायी कहलाने का अधिकार खोते जा रहे हैं। 

अपरिग्रह : जैन आगामों में भगवान महावीर ने लिखा है कि आवश्यकता से अधिक भौतिक वस्तुओं का त्याग करना चाहिए लेकिन वास्तव में आज हम सुख-सुविधा के भौतिक साधनों के इतने गुलाम हो चुके हैं कि हमने महावीर के सिद्धांत को दरकिनार कर दिया है।

ब्रह्मचर्य : भगवान महावीर ने कहा कि ‘संयम: खुल जीवनम’ अर्थात ‘संयम ही जीवन है’। उन्होंने कहा कि एक सीमा से अधिक भोग का त्याग किया जाना चाहिए।

अस्तेय : भगवान महावीर के अनुसार बिना आज्ञा से किसी की वस्तु को छूना अथवा उसका उपयोग करना चोरी के अंतर्गत आता है। अस्तेय का अर्थ है चोरी का त्याग। चोर के चोरी करने में हमारे द्वारा दिया गया सहयोग अथवा सहमति भी चोरी है।

दान, क्षमा, शील की प्रतिमूर्ति भगवान महावीर ने मानव जीवन के कल्याण के लिए ‘अनेकांत’ का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार किसी भी तथ्य के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक होना चाहिए, संकुचित नहीं। एक गिलास में आधा पानी है। एक दृष्टिकोण से विचार करें तो ऐसा भी कहा जा सकता है कि गिलास आधा भरा है अर्थात दृष्टिकोण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं लेकिन वस्तुत: तथ्य एक है। अत: हमें विवादों में पड़ कर तथ्य को नहीं भूलना चाहिए। 

आज सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम केवल महापुरुषों का गुणानुवाद ही नहीं करें, वरन् उनके चरित्र को अपने व्यवहार में अपनाने का प्रयास करें। तभी एक स्वस्थ सुंदर समाज की कल्पना साकार हो सकती है।

PunjabKesari Teachings of Lord Mahavira

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!