ये है वो मंदिर जहां हनुमान जी के साथ विराजित है उनकी पत्नी सुवर्चला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 12:24 PM

this is the temple where hanuman ji is paired with his wife supervala

हनुमान परमेश्वर की भक्ति की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान शिवजी के रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं

हनुमान परमेश्वर की भक्ति की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान शिवजी के रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार बजरंगबली जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। 

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हनुमान जी के बारे में माना जाता है की वें बाल ब्रह्मचारी है। लेकिन भारत के कुछ हिस्सों खासकर तेलंगाना में हनुमान जी को विवाहित माना जाता है। इन क्षेत्रों में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी की पत्नी का नाम सुवर्चला है और वे सूर्य देव की पुत्री हैं। यहां पर हनुमानजी और सुवर्चला का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। इसके अलावा पाराशर संहिता में भी हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कथा है।

 

तेलंगाना के खम्मम जिले में है मंदिर
हैदराबाद से 220 कि.मी की दूर खम्मम जिला में हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर है। यह एक प्राचीन मंदिर है। यहां हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला की प्रतिमा विराजमान है। मान्यता है कि जो भी हनुमानजी और उनकी पत्नी के दर्शन करता है, उन भक्तों के वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और पति-पत्नी के बीच सदैव प्रेम बना रहता है।

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विवाह संबंधी पौराणिक कथा 
यहां प्रचलित मान्यता का आधार पाराशर संहिता को माना गया है। पाराशर संहिता में उल्लेख मिलता है कि हनुमानजी अविवाहित नहीं, विवाहित हैं। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ है। इसके अनुसार हनुमानजी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं का ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्यदेव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया। शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष चार विद्याओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही। पहले तो हनुमानजी विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन उन्हें शेष 4 विद्याओं का ज्ञान पाना ही था। इस कारण अंतत: हनुमानजी ने विवाह के लिए हां कर दी।

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हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला
जब हनुमानजी विवाह के लिए मान गए तब उनके योग्य कन्या की तलाश की गई और यह तलाश खत्म हुई सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला पर। सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो। 

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सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको। उन्होंने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी।  

इसके बाद सूर्य देव ने हनुमानजा और सुवर्चला का विवाह करा दिया। विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं और हनुमानजी ने अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी बने हुए हैं।

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