Tula Sankranti: साल 2025 की तुला संक्रांति होगी खास, जानें कौन से योग बना रहे हैं इसे शुभ

Edited By Updated: 12 Oct, 2025 06:57 AM

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Tula Sankranti: हिंदू धर्म में संक्रांति का दिन अत्यधिक पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर का सूचक है। वर्ष में कुल 12 संक्रांति में होती हैं और इनमें तुला संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव कन्या...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Tula Sankranti: हिंदू धर्म में संक्रांति का दिन अत्यधिक पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर का सूचक है। वर्ष में कुल 12 संक्रांति में होती हैं और इनमें तुला संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करते हैं। वर्ष 2025 की तुला संक्रांति कई मायनों में खास है क्योंकि इस दिन दो अत्यंत शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिससे इस पर्व का पुण्य फल कई गुना बढ़ जाएगा।

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तुला संक्रांति पर बन रहे हैं ये दो शुभ योग

शुक्ल योग

वैदिक ज्योतिष में शुक्ल योग को बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। यह योग मुख्य रूप से शांति, सद्भाव और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ है। शुक्ल योग में किए गए सभी धार्मिक और शुभ कार्य सफल होते हैं और उनका फल लंबे समय तक बना रहता है। यह योग व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति को मजबूत करता है। यदि आप कोई नया कार्य, व्यापार या शुभ अनुष्ठान शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो इस योग में करना अत्यंत फलदायी होता है। तुला संक्रांति पर शुक्ल योग देर रात तक बना रहेगा, जिससे साधकों को भगवान भास्कर की पूजा का पूरा फल मिलेगा।

शिव वास योग
शिव वास योग भगवान शिव के निवास को दर्शाता है। ज्योतिष गणना के अनुसार, शिव वास योग उस समय बनता है, जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर या नंदी पर विराजमान होते हैं। तुला संक्रांति के दिन यह योग पूरे दिन बना रहेगा।

शिव वास योग में भगवान शिव का अभिषेक करना या रुद्राभिषेक करवाना अति उत्तम फल देता है। इससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस योग में शिव जी की पूजा से व्यक्ति पुराने कर्मों के दोषों और पापों से मुक्त होता है।

शिववास योग में किए गए जप, तप और दान का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर लंबे समय तक सकारात्मक रूप से दिखाई देता है।

यह महासंयोग सुनिश्चित करता है कि इस दिन सूर्य देव और भगवान शिव दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त हो।

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तुला संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

इस दिन सूर्य देव की पूजा और गंगा स्नान का विशेष विधान है। सूर्य देव को अर्घ्य देने और ॐ ह्रीं सूर्याय नमः मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है, साथ ही करियर और मान-सम्मान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।

शास्त्रों में कहा गया है योगयुक्तो दिने दिने सूर्य पूजा फलप्रदा। इसका अर्थ है कि शुभ योग में सूर्य पूजा और दान का फल अनंत गुणा बढ़ जाता है। इस दिन तांबे की वस्तु, गुड़, जौ और लाल फूल का दान करना शुभ माना जाता है। दान से आत्मा को शांति और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है।

तुला राशि स्वयं संतुलन की प्रतीक है। यह संक्रांति हमें जीवन में संतुलन, संयम और धर्म की भावना बनाए रखने की सीख देती है। ओडिशा और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में इसे किसानों का पर्व भी माना जाता है, जहां अच्छी फसल के लिए देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।

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