पीएम मोदी की यात्रा ने बढ़ाई उडुपी मठ की प्रसिद्धि, जानें इसकी खास बातें

Edited By Updated: 28 Nov, 2025 03:52 PM

udupi krishna math

कर्नाटक के तटीय शहर उडुपी में स्थित श्री कृष्ण मठ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भारत की महान द्वैत वेदांत परंपरा का 800 साल पुराना केंद्र है।

Udupi Krishna Math: कर्नाटक के तटीय शहर उडुपी में स्थित श्री कृष्ण मठ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भारत की महान द्वैत वेदांत परंपरा का 800 साल पुराना केंद्र है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और लक्ष कंठ गीता पारायण जैसे विशाल भक्ति कार्यक्रम में भागीदारी के कारण यह मठ एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में आ गया है। यह मठ अपनी प्राचीनता के साथ-साथ कई अद्वितीय परंपराओं और चमत्कारों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। तो आइए जानते हैं इस मठ के बारे में-

800 साल पुराना इतिहास और संस्थापक
इस मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में महान दार्शनिक और द्वैत वेदांत दर्शन के संस्थापक जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने की थी। यहां स्थापित भगवान कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति को अत्यंत पवित्र माना जाता है। किंवदंती है कि यह प्रतिमा मूल रूप से द्वारका में रुक्मिणी माता द्वारा पूजी जाती थी, और समुद्र मंथन के बाद इसे माधवाचार्य जी ने चमत्कारिक रूप से गोपीचंदन के भीतर से निकाला और उडुपी में स्थापित किया।

मठ की सबसे अनोखी परंपराएं
यह मठ की सबसे प्रसिद्ध और अनूठी विशेषता है। आम मंदिरों के विपरीत, भक्त यहां गर्भगृह में स्थापित भगवान कृष्ण के दर्शन सीधे मुख्य द्वार से नहीं, बल्कि नौ छिद्रों वाली एक छोटी खिड़की से करते हैं, जिसे कनकना किंदी कहा जाता है। माना जाता है कि 15वीं सदी के परम भक्त संत कनकदास को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी, जिसके बाद उन्होंने मंदिर के पीछे खड़े होकर प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण की मूर्ति चमत्कारिक रूप से पश्चिम की ओर घूम गई और दीवार में एक दरार पड़ गई, जिससे कनकदास को दर्शन प्राप्त हुए। उसी स्थान पर यह खिड़की बनाई गई।

उडुपी कृष्ण मठ का प्रबंधन किसी एक पुजारी या परिवार द्वारा नहीं, बल्कि माधवाचार्य द्वारा स्थापित आठ मठों (अष्ट मठों) के संतों द्वारा बारी-बारी से किया जाता है। प्रत्येक संत दो साल के लिए पूजा और प्रबंधन का कार्य संभालते हैं, जिसे 'पर्याय उत्सव' कहा जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से बढ़ी चर्चा
प्रधानमंत्री ने यहां आयोजित एक लाख से अधिक लोगों द्वारा सामूहिक श्रीमद्भगवद्गीता पाठ कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसने उडुपी की आध्यात्मिक पहचान को राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर रेखांकित किया। उन्होंने सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन किया और पवित्र कनकना किंदी के लिए कनक कवच समर्पित किया, जो मंदिर के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है।

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