Vaikuntha Chaturdashi 2019: भगवान शिव ने प्रदान किया था श्री हरि को सुदर्शन चक्र

Edited By Updated: 09 Nov, 2019 08:10 AM

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हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि इस खास दिन पर भोलेबाबा और भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति के समस्त दुखों व पापों का नाश होता है। इस दिन बहुत से लोग व्रत भी करते हैं। लेकिन बता दें कि जो लोग व्रत नहीं कर पाते वे केवल नीचे दी गई कथा को पढ़ या सुन लें तो उसका भआग्य सवर जाता है। 
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एक बार भगवान विष्णु देवों के देव महादेव का पूजन करने के लिए काशी पधारे। काशी में मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके उन्होंने 1000 स्वर्ण कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के पूजन का संकल्प लिया। अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो शिव जी ने उनकी भक्ति की परीक्षा के उद्देश्य से एक कमल पुष्प कम कर दिया। भगवान हरि को अपने संकल्प की पूर्ति के लिए 1000 कमल पुष्प चढ़ाने थे।
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एक पुष्प की कमी देखकर उन्होंने सोचा कि उनकी आंखें कमल के ही समान हैं, इसलिए उनको 'कमलनयन' और 'पुण्डरीकाक्ष' कहा जाता है। एक कमल के स्थान पर वह अपनी आंख ही चढ़ा देते हैं। यह सोचकर वे अपनी आंखें चढ़ाने को आगे बढ़े।
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भगवान श्रीहरि विष्णु की इस भक्ति से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव प्रकट हुए और बोले -हे विष्णु! तुम्हारे समान संसार में दूसरा कोई मेरा भक्त नहीं है, आज की यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अब वैकुण्ठ चतुर्दशी के नाम से जानी जाएगी। इस दिन व्रतपूर्वक पहले आपका पूजन कर जो मेरा पूजन करेगा, उसे वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होगी। भगवान शिव ने विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान करते हुए कहा कि यह राक्षसों का अंत करने वाला होगा। तीनों लोकों में इसके समान कोई अस्त्र नहीं होगा।

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