World heart day: हार्ट को हेल्दी रखना है तो दौड़ को बनाएं अपनी आदत

Edited By Updated: 29 Sep, 2025 06:00 AM

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तेज भागती जिंदगी में लोग अपने दिल की सेहत को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताने से जहां दिमाग थक जाता है, वहीं शारीरिक फिटनेस भी बिगड़ने लगती है।

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World heart day: तेज भागती जिंदगी में लोग अपने दिल की सेहत को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताने से जहां दिमाग थक जाता है, वहीं शारीरिक फिटनेस भी बिगड़ने लगती है। ऐसे में एक्सरसाइज और खासतौर पर दौड़ना दिल को मजबूत रखने का सबसे आसान तरीका है। हृदय विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना थोड़ी देर दौड़ने से न सिर्फ वजन, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, बल्कि मस्तिष्क भी एक्टिव रहता है।

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स्वस्थ जीवन के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। एक्सरसाइज केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि दिमाग को भी फिट रखती है। आजकल लोग देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताते हैं, जिससे दिमाग को आराम नहीं मिल पाता। ऐसे में नियमित व्यायाम मानसिक और शारीरिक दोनों को ही स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। डॉ. सक्सेना कहते हैं कि जब तक मस्तिष्क एक्टिव नहीं होगा, तब तक हम अपने काम में भी पूरी तरह एक्टिव नहीं रह पाएंगे।

व्यायाम कई प्रकार के हो सकते हैं। योग, वॉकिंग और रनिंग। हर एक का अपना महत्व है। योग का फायदा केवल योग से मिलता है, जबकि दौड़ने का फायदा दौड़ से ही मिलता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए कार्डियक फिटनेस बेहद जरूरी है। इसे हम काडयो एक्सरसाइज कहते हैं। जब भी हम ऐसे व्यायाम करते हैं, जिससे हमारी हार्टबीट सामान्य 70-80 से बढ़कर 130-140 तक पहुंचती है, तभी असली कार्डियक एक्सरसाइज होती है। इसका फायदा यह है कि वजन कंट्रोल में रहता है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर संतुलित रहते हैं और दिल मजबूत होता है।

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यदि आप रोजाना 30-40 मिनट व्यायाम करते हैं, तो उसमें कम से कम 10 मिनट दौड़ जरूर शामिल करें, लेकिन शुरुआत धीरे-धीरे करें। पहले वॉक, फिर ब्रिस्क वॉक और उसके बाद रनिंग, बिल्कुल थकान तक खुद को न ले जाएं। अगर दौड़ते समय सीने में भारीपन, ज्यादा पसीना या असहजता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, खासतौर पर 40 साल से ऊपर की उम्र वालों को दौड़ शुरू करने से पहले  कार्डियक चेकअप जरूर कराना चाहिए।

हार्ट अटैक होने पर महत्वपूर्ण है ‘गोल्डन ऑवर’
हार्ट अटैक के शुरू होने के पहले 60 मिनट को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है। इस समय का महत्व इसलिए है क्योंकि जब दिल की मांसपेशियों तक खून नहीं पहुंचता, तो वे धीरे-धीरे डैमेज होने या मरने लगती हैं। जितनी जल्दी ब्लॉक हुई धमनियों को खोल दिया जाए, दिल की मांसपेशियों को बचाने का मौका उतना ही बढ़ जाता है। चाहे वह क्लॉट-बस्टिंग दवाइयों के जरिए हो या एंजियोप्लास्टी जैसी प्रोसैस से। इससे मरीज की रिकवरी की संभावना भी बेहतर हो जाती है।

इस घंटे में किसी भी तरह की देरी खतरनाक साबित हो सकती है। अक्सर परिवार या मरीज यह सोचकर इंतजार करने की गलती कर देते हैं कि दर्द थोड़ी देर में कम हो जाएगा, लेकिन यह जीवन के लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए एक्सपर्ट डॉक्टर इस बात पर जोर देते हैं कि हर संदिग्ध हार्ट अटैक को तुरंत इमरजेंसी मानकर इलाज शुरू किया जाना चाहिए, जब तक कि इसके विपरीत स्पष्ट रूप से साबित न हो। समय पर सही कदम उठाना ही जीवन बचाने में सबसे बड़ा हथियार है।

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