Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Oct, 2025 05:53 PM

तुर्की में पाकिस्तान और तालिबान के बीच 9 घंटे चली बैठक बेनतीजा रही। पाकिस्तान ने सीमा पर संयुक्त गश्त और शरणार्थियों की वापसी पर जोर दिया, जबकि तालिबान ने इनकार किया। तुर्की-कतर की मध्यस्थता से अस्थायी शांति पर सहमति बनी, लेकिन स्थायी समाधान नहीं...
International Desk: इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच हुई 9 घंटे लंबी बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। तुर्की और कतर की मध्यस्थता के बावजूद वार्ता बेनतीजा रही। बैठक का मकसद सीमा पार आतंकवाद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की गतिविधियों और अफगान शरणार्थियों के मुद्दे पर सहमति बनाना था।बैठक से पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी थी कि अगर वार्ता विफल रही तो पाकिस्तान “अफगानिस्तान पर हमला” करने से पीछे नहीं हटेगा। लेकिन बैठक के अंत में कोई समझौता नहीं हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहराया है।
पाकिस्तान की मांगें और तालिबान का इनकार
पाकिस्तान चाहता था कि दोनों देश सीमा पर संयुक्त गश्त (Joint Patrol) शुरू करें ताकि TTP की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। लेकिन तालिबान ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बजाय काबुल ने कहा कि वह केवल “इंटेलिजेंस शेयरिंग” पर विचार कर सकता है। पाकिस्तान ने इसे नाकाफी बताते हुए ठुकरा दिया।
शरणार्थियों के मुद्दे पर टकराव
दूसरा अहम मुद्दा अफगान शरणार्थियों की वापसी का था। पाकिस्तान ने दो टूक कहा कि वह अपने देश में रह रहे अफगान शरणार्थियों को हर हाल में बाहर निकालेगा। अफगान पक्ष ने चेतावनी दी कि जबरन वापसी से गंभीर मानवीय संकट पैदा हो सकता है। सीमा पर करीब 1,200 ट्रक फंसे हैं, जिससे व्यापारिक नुकसान बढ़ रहा है।तुर्की और कतर ने बीच-बचाव करते हुए एक संयुक्त व्यापार-सुरक्षा कार्यदल (Joint Trade-Security Taskforce) बनाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर दोनों पक्षों ने अस्थायी सहमति जताई है।
तालिबान की चेतावनी
तालिबान ने बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान की किसी भी सैन्य कार्रवाई को “अफगान अमीरात पर हमला” माना जाएगा। वहीं भारतीय खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह वार्ता पाकिस्तान के लिए “रणनीतिक छल” साबित हो सकती है, जिससे उसे अस्थायी कूटनीतिक राहत तो मिलेगी लेकिन मूल समस्या बरकरार रहेगी। दोनों देशों ने फिलहाल सीमा पर तनाव घटाने और “अस्थायी शांति” बनाए रखने पर सहमति जताई है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षणिक राहत है, स्थायी समाधान नहीं। हालात ऐसे हैं कि कभी भी युद्ध भड़क सकता है।
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