4 मिनट की ज़ूम कॉल पर चली गई सैकड़ों की नौकरी! अमेरिकी कंपनी ने भारतीय कर्मचारियों को अचानक किया बाहर

Edited By Updated: 06 Oct, 2025 09:51 AM

american company evacuates indian employees in 4 minutes

ग्लोबल टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट जगत में चल रही छंटनी की लहर के बीच एक अमेरिकी कंपनी ने भारतीय कर्मचारियों को जिस तरह अचानक नौकरी से निकाला है उसने कॉर्पोरेट एथिक्स और कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिर्फ 4 मिनट की एक वर्चुअल...

इंटरनेशनल डेस्क। ग्लोबल टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट जगत में चल रही छंटनी की लहर के बीच एक अमेरिकी कंपनी ने भारतीय कर्मचारियों को जिस तरह अचानक नौकरी से निकाला है उसने कॉर्पोरेट एथिक्स और कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिर्फ 4 मिनट की एक वर्चुअल मीटिंग में कंपनी के सीओओ (COO) ने भारतीय वर्कफोर्स को बाहर निकालने की घोषणा कर दी जिससे सैकड़ों कर्मचारियों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

सुबह 11 बजे का अमानवीय फरमान

यह घटना भारत से रिमोट वर्क कर रहे कर्मचारियों की इनसिक्योरिटी को उजागर करती है। एक प्रभावित कर्मचारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर अपना दर्द साझा किया:

कर्मचारी ने रोज की तरह सुबह 9 बजे लॉग इन किया। 11 बजे कंपनी के सीओओ ने 'अनिवार्य वर्चुअल मीटिंग' का इनविटेशन भेजा। मीटिंग शुरू होते ही सभी कर्मचारियों के कैमरे और माइक बंद कर दिए गए। बिना किसी पूर्व सूचना या चर्चा के सीओओ ने घोषणा कर दी कि कंपनी भारतीय वर्कफोर्स को हटा रही है। कर्मचारियों को नौकरी खोने की बिल्कुल आशंका नहीं थी। इस अप्रत्याशित छंटनी ने साबित कर दिया कि कैसे डिजिटल माध्यमों ने HR (ह्यूमन रिसोर्स) के फैसलों को मानवीय टच से वंचित कर दिया है। मीटिंग के तुरंत बाद प्रभावित कर्मचारियों को एक ईमेल मिला जिसमें 1 अक्टूबर को उनका लास्ट वर्किंग डे घोषित किया गया।

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छंटनी का कारण: प्रदर्शन नहीं, इंटरनल रीस्ट्रक्चरिंग

सीओओ ने स्पष्ट किया कि छंटनी कर्मचारियों के प्रदर्शन (Performance) से जुड़ी नहीं है बल्कि यह कंपनी की कॉस्ट कटिंग और इंटरनल रीस्ट्रक्चरिंग की रणनीति का हिस्सा है। निकाले गए कर्मचारी ने रेडिट पर लिखा कि उन्हें अपने सहयोगियों को अलविदा कहने या अपनी बात रखने का भी मौका नहीं मिला। यह प्रक्रिया एकतरफा और अमानवीय थी। इस घटना ने उन भारतीय प्रोफेशनल्स की नौकरी की अनस्टेबल प्रकृति को उजागर किया है जो सीमा पार की कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं।

सबसे बड़ी चिंता: H-1B वीजा धारकों का भविष्य

इस छंटनी का सबसे गंभीर मानवीय पहलू उन भारतीय कर्मचारियों से जुड़ा है जो अमेरिकी H-1B या अन्य वर्क वीजा पर काम कर रहे थे। नौकरी छूटने के बाद इन वीजा धारकों के पास नई नौकरी ढूंढने के लिए केवल एक सीमित ग्रेस पीरियड होता है। ग्रेस पीरियड के अंदर नौकरी न मिलने पर उन्हें देश छोड़कर वापस आना पड़ सकता है जिससे उनके और उनके परिवार की भविष्य की योजनाएँ खतरे में पड़ जाती हैं। कर्मचारी संगठन और विशेषज्ञ अब मांग कर रहे हैं कि कंपनियों को बड़े पैमाने पर छंटनी से पहले पर्याप्त नोटिस देना चाहिए और स्थानीय श्रम कानूनों तथा मानवीय व्यवहार के मानकों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

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