Edited By Pardeep,Updated: 23 Dec, 2025 09:21 PM

पाकिस्तान की खराब आर्थिक हालत का एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है। लंबे समय से घाटे में चल रही पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को आखिरकार बेच दिया गया है।
इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान की खराब आर्थिक हालत का एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है। लंबे समय से घाटे में चल रही पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को आखिरकार बेच दिया गया है। भारी कर्ज, खराब मैनेजमेंट और लगातार नुकसान के चलते सरकार को इसे निजी हाथों में सौंपना पड़ा।
किसने खरीदी PIA और कितने में?
PIA के 75 फीसदी शेयरों की नीलामी की गई थी। इस नीलामी में आरिफ हबीब ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाई और 135 अरब पाकिस्तानी रुपये में PIA को खरीद लिया।
अन्य बोलीदाताओं में:
सबसे ज्यादा बोली लगाने के चलते आरिफ हबीब ग्रुप को यह सौदा मिला।
एयरलाइन की हालत क्यों खराब हुई?
PIA पिछले कई सालों से गंभीर आर्थिक संकट में है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक- PIA के पास फिलहाल 32 विमान हैं। इनमें Airbus A-320, Boeing 737, Airbus A330 और Boeing 777 शामिल हैं। फ्लाइट्स की कमी, खराब प्रबंधन, कर्मचारियों की अधिक संख्या और अरबों रुपये का कर्ज इन सभी वजहों से एयरलाइन लगातार घाटे में जाती रही।
सुधार पर कहां खर्च होगा पैसा?
नीलामी से मिलने वाली कुल रकम का 92.5 फीसदी हिस्सा PIA के सुधार पर खर्च किया जाएगा। इसमें विमान बेड़े का आधुनिकीकरण, सेवाओं में सुधार, कर्ज चुकाना और ऑपरेशनल मैनेजमेंट बेहतर करना शामिल है।
पाकिस्तानी मंत्रियों के बयान
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने इस नीलामी प्रक्रिया के लिए प्रधानमंत्री के सलाहकार और उनकी टीम को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि “यहां तक पहुंचने में बहुत समय और मेहनत लगी है। अच्छी बात यह है कि PIA को खरीदने वाले सभी निवेशक पाकिस्तानी हैं।” हालांकि आलोचकों का कहना है कि सरकार एक तरफ देश की बिगड़ती हालत से जूझ रही है और दूसरी तरफ जनता को बड़े-बड़े दावों से गुमराह किया जा रहा है।
विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद
वित्त मंत्री औरंगजेब ने उम्मीद जताई कि इस निजीकरण से पहले स्थानीय निवेश बढ़ेगा और इसके बाद विदेशी निवेशक भी पाकिस्तान में निवेश के लिए आगे आएंगे। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकारों का कहना है कि PIA के निजीकरण से देश में निवेश के नए रास्ते खुल सकते हैं।
IMF के दबाव में हुआ निजीकरण
PIA का यह निजीकरण IMF के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की एक अहम शर्त था। IMF ने पाकिस्तान से कहा था कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बेचा जाए या उन्हें पूरी तरह से सुधारा जाए। IMF की साफ मांग थी कि PIA का पूरा निजीकरण हो, ताकि सरकार या सेना का इस पर कोई नियंत्रण न रहे।