Edited By Tanuja,Updated: 29 Dec, 2025 07:04 PM

चिनाब नदी पर भारत की 260 मेगावाट दुलहस्ती तृतीय-चरण जलविद्युत परियोजना को मंजूरी मिलने पर पाकिस्तान ने कड़ा ऐतराज जताया है। पाक सांसद शेरी रहमान ने इसे ‘पानी को हथियार’ बताकर सिंधु जल संधि का उल्लंघन कहा, जबकि भारत ने परियोजना को संधि के अनुरूप...
Islamabad: चिनाब नदी पर भारत की 260 मेगावाट दुलहस्ती तृतीय-चरण जलविद्युत परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर बौखलाहट में बेबुनियाद आरोप लगाने लगा है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने भारत पर ‘पानी को हथियार’ बनाने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। भारत का साफ कहना है कि यह परियोजना सिंधु जल संधि, 1960 के सभी तकनीकी और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप है। विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने स्पष्ट किया है कि परियोजना नदी-आधारित है और इससे पाकिस्तान के हिस्से के पानी पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का यह बयान राजनीतिक हताशा का नतीजा है। वर्षों से आतंकवाद को संरक्षण देने और खुद सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला पाकिस्तान अब भारत की हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास से घबराया हुआ है। गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़े रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित किया था। इसके बाद से पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहानुभूति बटोरने के लिए ‘जल संकट’ का झूठा नैरेटिव गढ़ रहा है। भारत ने दो टूक कहा है कि आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते, और देश अपनी ऊर्जा जरूरतों व जम्मू-कश्मीर के विकास से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।
शेरी रहमान, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं, ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दबाव झेल रहे क्षेत्र में इस तरह की परियोजना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय जल संरक्षण समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन भी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले से ही अविश्वास और शत्रुता से भरे भारत-पाक संबंधों में और तनाव बढ़ेगा। भारत की ओर से यह मंजूरी ऐसे समय दी गई है जब अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया था। परियोजना की अनुमानित लागत ₹3,200 करोड़ से अधिक है और इसके लिए अब निविदाएं जारी करने का रास्ता साफ हो गया है।
हालांकि, विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि परियोजना की योजना सिंधु जल संधि, 1960 के प्रावधानों के अनुरूप तैयार की गई है और चिनाब बेसिन का जल दोनों देशों के बीच साझा ढांचे के तहत ही आता है। समिति ने यह भी उल्लेख किया कि 23 अप्रैल 2025 से संधि निलंबित स्थिति में है। इस मुद्दे ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर पुराने विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुर्खियों में ला दिया है।