पाकिस्तान के संविधान संशोधन पर UN की कड़ी चेतावनी, कहा-'न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश'

Edited By Updated: 29 Nov, 2025 05:50 PM

pakistan türk concerned by constitutional amendments and immunity provisions

पाकिस्तान के 26वें संविधान संशोधन पर संयुक्त राष्ट्र ने गंभीर चिंता जताई है। UN उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क के अनुसार यह बदलाव न्यायपालिका की स्वतंत्रता, सैन्य जवाबदेही और कानून के शासन को कमजोर कर सकता है। संशोधन से सुप्रीम कोर्ट के अधिकार सीमित होने...

Islamabad:पाकिस्तान में लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चिंता बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने पाकिस्तान के 26वें संविधान संशोधन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह कदम न्यायिक स्वतंत्रता, सैन्य जवाबदेही और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस संशोधन के जरिए पाकिस्तान में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने का खतरा है और इससे न्यायपालिका कार्यपालिका के दबाव में निर्णय लेने को मजबूaर हो सकती है।

 

वोल्कर तुर्क की कड़ी चेतावनी
तुर्क ने स्पष्ट कहा-“इन बदलावों से न्यायपालिका पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ेगा। न्यायाधीशों पर राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए, वरना कानून के समक्ष न्याय और समानता सुनिश्चित करना कठिन हो जाएगा।”

 

क्या है 26वां संविधान संशोधन?
13 नवंबर को पाकिस्तान ने 26वें संशोधन के तहत संघीय संवैधानिक अदालत (FCC) बनाने का फैसला किया।इस बदलाव के बाद आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर उसे सिर्फ सिविल और क्रिमिनल मामलों तक बाँधने की कोशिश कर रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय क्यों चिंतित?

  • सुप्रीम कोर्ट की भूमिका कमजोर हो सकती है
  • सेना और सरकार की जवाबदेही कमज़ोर पड़ेगी
  • पाकिस्तान का लोकतंत्र और मानवाधिकार दोनों प्रभावित होंगे
  • संयुक्त राष्ट्र के इस बयान के बाद पाकिस्तान का नया संशोधन वैश्विक बहस का विषय बन गया है।

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