Edited By Tanuja,Updated: 30 Dec, 2020 04:37 PM
दिसंबर 2019 से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी ने 2020 में खूब कहर मचाए रखा। पूरा साल दुनिया खौफ में रही और प्रतिबंधों में जीवन ...
इंटरनेशनल डेस्कः दिसंबर 2019 से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी ने 2020 में खूब कहर मचाए रखा। पूरा साल दुनिया खौफ में रही और प्रतिबंधों में जीवन बिताया । जाते -जाते भी कोरोना को चैन नहीं आया आर वायरस का नया रूप नई मुसीबत बनकर टूट पड़ा । एक तरफ इस बीमारी से लोग संक्रमित हो रहे हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं तो दूसरी तरफ वायरस से बचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला मास्क पर्यावरण के लिए खतरानाक साबित होगा । एक रिपोर्ट के अनुसार मास्क की वजह से इस साल समुद्री इकोसिस्टम भी बहुत ज्यादा प्रदूषित होगा।
हांगकांग की पर्यावरण संरक्षण ओसियन्स एशिया की ग्लोबल मार्केट रिसर्च के आधार पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अलग-अलग माध्यमों से इस्तेमाल किए गए 150 करोड़ फेस मास्क समुद्र में पहुंचेंगे। इन हजारों टन प्लास्टिक से समुद्री जल में फैले प्रदूषण के कारण समुद्री वन्य जीवन को भारी नुकसान होगा। कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस साल लगभग 5,200 करोड़ मास्क बने हैं। परंपरागत गणना के आधार पर इसका तीन फीसदी हिस्सा समुद्र में पहुंचेगा। ये सिंगल यूज फेस मास्क मेल्टब्लॉन किस्म के प्लास्टिक से बना होता है, इसमें कंपोजिशन, खतरे और इंफेक्शन की वजह से इसे रिसाइकिल करना काफी मुश्किल हो जाता है।
हर मास्क का वजन तीन से चार ग्राम होता है। इस स्थिति में लगभग 6,800 टन से ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण पैदा होगा। इतनी संख्या में पैदा हुए प्लास्टिक को खत्म करने में कम से कम 450 साल लगेंगे। रिपोर्ट में इस खतरे से बचने के लिए बार-बार इस्तेमाल होने वाले और धुलने वाले कपड़े से बने मास्क के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। ब्रिटेन की शाही सोसाइटी ने जानवरों की सुरक्षा के लिए हाल ही में सुझाव दिया था कि अपना मास्क फेंकने से पहले उसका कान में लगाने वाला स्ट्रैप निकाल दिया करें।