न तुर्की, न चीन और न अजरबैजान…इस मुस्लिम देश ने की थी PAK की बड़ी मदद, शहबाज ने खुद उगला सच

Edited By Parveen Kumar,Updated: 21 May, 2025 05:34 PM

this muslim country had given a big help to pak

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक बार फिर से तनाव का माहौल बना हुआ है। इस बार हालात कुछ अलग हैं क्योंकि अब तक चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का झुकाव पाकिस्तान की ओर देखा गया था, लेकिन अब एक ऐसा नाम सामने आया है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक बार फिर से तनाव का माहौल बना हुआ है। इस बार हालात कुछ अलग हैं क्योंकि अब तक चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का झुकाव पाकिस्तान की ओर देखा गया था, लेकिन अब एक ऐसा नाम सामने आया है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। दरअसल हम मिस्त्र देश की बात कर रहे है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद मिस्र के राष्ट्रपति को फोन कर आभार जताया है, जिससे यह साफ हो गया कि मिस्र भी पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से समर्थन दे रहा था।

शहबाज शरीफ की जुबान से निकला मिस्र का नाम

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी से टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत में शहबाज शरीफ ने मिस्र की "संतुलित भूमिका" के लिए उनका धन्यवाद किया और कहा कि मिस्र की कोशिशों से भारत-पाक तनाव को कम करने में मदद मिली। यह बयान अपने आप में बहुत कुछ कह गया। इससे यह साबित हो गया कि मिस्र ने इस पूरे मामले में पर्दे के पीछे पाकिस्तान को कूटनीतिक सहारा दिया।

पहले ही मिले थे सबूत, अब पुष्टि हुई

दरअसल 12 मई को फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट ‘फ्लाइट 24 रडार’ पर एक दिलचस्प गतिविधि दर्ज हुई थी। एक मिस्री कार्गो विमान को पाकिस्तान में लैंड करते हुए देखा गया था। तब इस खबर को नजरअंदाज कर दिया गया, लेकिन अब शहबाज शरीफ की बातचीत के बाद यह कड़ी और मजबूत हो गई है कि मिस्र और पाकिस्तान के बीच कुछ न कुछ चल रहा था। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर मिस्र की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन शहबाज शरीफ के बयान ने साफ कर दिया है कि मिस्र की भूमिका इस बार केवल दर्शक बनने की नहीं थी।

सिंधु जल संधि का भी हुआ जिक्र

शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति अल-सीसी के बीच हुई बातचीत में सिंधु जल संधि का मुद्दा भी सामने आया। भारत ने हाल ही में इस संधि को होल्ड पर रखा है जिससे पाकिस्तान को चिंता है। शहबाज ने इस संधि को क्षेत्रीय शांति के लिए अहम बताया और कहा कि पाकिस्तान इसे बहुत गंभीरता से लेता है।

द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की बात

दोनों नेताओं के बीच बातचीत सिर्फ मौजूदा तनाव तक ही सीमित नहीं रही। इसमें भविष्य की रणनीति और द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की बातें भी शामिल थीं। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति अल-सीसी को पाकिस्तान आने का न्योता दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इससे यह साफ है कि आने वाले समय में मिस्र और पाकिस्तान के बीच रिश्ते और गहरे हो सकते हैं।

मिस्र की भूमिका क्यों है अहम?

मिस्र का इस तनाव में कूटनीतिक हस्तक्षेप करना यह दिखाता है कि वैश्विक राजनीति में अब सिर्फ बड़े देश ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय ताकतें भी अपनी भूमिका निभा रही हैं। मिस्र ने भले ही खुलकर भारत के खिलाफ कुछ न कहा हो, लेकिन पाकिस्तान को समर्थन देना और शांतिपूर्ण समाधान की ओर प्रेरित करना अपने आप में एक बड़ा संदेश है।

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