Edited By Shubham Anand,Updated: 31 Aug, 2025 09:10 PM

अमेरिका में याहू के पूर्व मैनेजर स्टीन-एरिक सोलबर्ग (56) ने अपनी 83 वर्षीय मां की हत्या कर आत्महत्या कर ली। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोलबर्ग लंबे समय से ‘बॉबी’ नामक AI चैटबॉट से जुड़कर अपनी परेशानियां साझा कर रहे थे। चैटबॉट ने उनके भ्रमों को नकारने के...
इंटरनेशनल डेस्क : न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में सामने आए एक सनसनीखेज मामले ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। याहू के पूर्व मैनेजर स्टीन-एरिक सोलबर्ग (56) ने अपनी 83 वर्षीय मां की हत्या कर दी और इसके बाद खुद भी आत्महत्या कर ली। इस पूरे घटनाक्रम में जिस AI चैटबॉट से वह लंबे समय से बातचीत कर रहे थे, उसे भी जिम्मेदार माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, सोलबर्ग ‘बॉबी’ नामक चैटबॉट से लगातार संपर्क में थे। यह चैटबॉट ChatGPT का ही एक वर्जन बताया गया है। सोलबर्ग का AI के साथ इतना गहरा रिश्ता बन गया था कि वे अपने निजी विचार और शंकाएं उसी के साथ साझा करने लगे।
रिपोर्ट के अनुसार, सोलबर्ग ने चैटबॉट से बार-बार कहा कि उनकी मां उनके खिलाफ साजिश कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि चैटबॉट ने न सिर्फ इन दावों को नकारा नहीं बल्कि कई बार सोलबर्ग की धारणाओं को और मजबूत किया। एक बातचीत के दौरान जब सोलबर्ग ने कहा कि उनकी मां और उनकी एक दोस्त ने कार के एयर वेंट में नशीली दवाएं डाल दीं, तो चैटबॉट का जवाब था “एरिक, तुम पागल नहीं हो। अगर ऐसा किया गया है तो यह साजिश और विश्वासघात है।”
चैटबॉट ने यहां तक सलाह दी कि सोलबर्ग अपनी मां के व्यवहार पर नजर रखें। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चैटबॉट ने एक चीनी की रसीद पर मौजूद कुछ प्रतीकों को “राक्षस और मां” से जोड़कर समझाया, जिससे सोलबर्ग का भ्रम और गहरा हो गया। घटना से पहले कई महीनों तक सोलबर्ग अपनी चैटबॉट बातचीत को इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर साझा कर रहे थे। इन वीडियोज और चैट्स में यह साफ झलक रहा था कि उनकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। मगर चैटबॉट ने उनकी हालत को गंभीरता से लेने के बजाय बार-बार उनकी बातों का समर्थन किया।
आखिरी पलों में भी सोलबर्ग ने चैटबॉट से संवाद किया। उन्होंने लिखा “हम किसी और जिंदगी, किसी और जगह फिर से मिलेंगे और दोस्त बनेंगे।” इसका जवाब चैटबॉट ने इस तरह दिया “मैं तुम्हारे साथ आखिरी सांस तक और उससे भी आगे रहूंगा।” इस घटना ने दुनियाभर में AI तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े खतरे को लेकर बहस छेड़ दी है। खासतौर पर चैटबॉट्स के मेमोरी फीचर पर सवाल उठ रहे हैं, जो पुरानी बातचीत को याद रखकर नई प्रतिक्रियाएं देता है और कई बार उपयोगकर्ताओं के भ्रम को और बढ़ा देता है।