13 दिन अंधेरे कमरे में बेल्ट से पिटाई, निर्वस्त्र कर लटकाने की धमकी,  दिल दहला देगी साध्वी प्रज्ञा की जेल की दास्तान

Edited By Updated: 31 Jul, 2025 08:35 PM

2008 malegaon bomb blast nia court mumbai sadhvi pragya singh thakur

2008 में मालेगांव में हुए बम धमाके से जुड़े बहुचर्चित मामले में 17 साल बाद एक ऐतिहासिक मोड़ आया, जब मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इनमें प्रमुख नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल...

मुंबई:  2008 में मालेगांव में हुए बम धमाके से जुड़े बहुचर्चित मामले में 17 साल बाद एक ऐतिहासिक मोड़ आया, जब मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इनमें प्रमुख नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं। हालांकि कोर्ट का यह फैसला कानूनी नजरिए से केस को विराम देता है, मगर इस दौरान साध्वी प्रज्ञा की जेल में बिताए 9 वर्षों की भयावह दास्तां एक बार फिर चर्चा में आ गई है।

 क्या हुआ था मालेगांव में?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर के अंजुमन चौक इलाके में रमजान के दौरान एक बम धमाका हुआ। यह धमाका एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक से किया गया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और करीब 95 लोग घायल हो गए। घटनास्थल से बरामद बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम पर रजिस्टर्ड पाई गई, जिसके बाद महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने उन्हें 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार कर लिया।

जांच एजेंसियों ने दावा किया कि यह हमला  हिंदू कट्टरपंथियों की साजिश थी, जो सांप्रदायिक तनाव भड़काने के मकसद से किया गया था। UAPA, MCOCA और IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुआ और कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया।

 साध्वी प्रज्ञा की जेल में गुज़री यातना भरी जिंदगी
सालों बाद 2018 में जब साध्वी प्रज्ञा ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में अपने जेल के अनुभव साझा किए, तो देशभर में लोगों को झटका लगा। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक यातनाओं का सामना करना पड़ा।

 13 दिन का अंधकारमय काल कोठरी का अनुभव
“मुझे एक छोटे, अंधेरे कमरे में बंद किया गया। पहले दिन से ही बेल्ट से पीटा जाने लगा। हाथ-पैर नीले पड़ गए थे। मैं पानी का गिलास भी नहीं पकड़ पा रही थी।”

नंगा करने और उल्टा लटकाने की धमकी
“मुझे गालियां दी जाती थीं। अधिकारी मुझे धमकाते थे कि मुझे उल्टा लटकाकर नंगा किया जाएगा। ये बातें कहना आसान नहीं, लेकिन मैंने जो झेला, वह कोई बहन ना झेले।”

24 दिन तक नींद छीनी गई, लगातार मारपीट
“लगातार 24 दिनों तक मारपीट हुई। जब वे थक जाते, तो सिर्फ गालियां देते थे। मुझे नींद नहीं लेने दी जाती थी ताकि मानसिक रूप से मैं टूट जाऊं।”

नमक मिले गर्म पानी से जलन और यातना
 पिटाई से खून न निकले इसलिए वे मेरे हाथ गर्म पानी और नमक में डुबोते थे, फिर दोबारा मारते थे। 

 नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट से कैंसर?
साध्वी ने यह भी आरोप लगाया कि उनसे तीन-तीन बार नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेन-मैपिंग टेस्ट करवाए गए, जिनमें उनके शरीर में रसायन डाले गए। उनका दावा है कि इसी के कारण उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हुआ।

 एनकाउंटर की धमकी
“मुझे डर था कि कहीं एनकाउंटर कर दिया जाए। मगर मैंने तय किया था कि भारत माता के प्रति अपनी निष्ठा नहीं तोड़ूंगी, चाहे जान ही क्यों न चली जाए।”

मामले की कानूनी यात्रा: जांच से लेकर फैसला तक
2008-2011: महाराष्ट्र एटीएस की जांच में साध्वी को मुख्य आरोपी बनाया गया और 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई।

2011: केस NIA को सौंपा गया, जिसने एटीएस की जांच में कई खामियां बताईं और MCOCA हटाने की सिफारिश की।

2016: NIA ने कुछ आरोपियों को क्लीन चिट दी, जिसमें साध्वी भी शामिल थीं। लेकिन अदालत ने क्लीन चिट खारिज कर सभी 7 आरोपियों पर ट्रायल जारी रखा।

2017: बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी को जमानत मिली, वहीं कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से।

2018-2024: केस की सुनवाई में 323 गवाहों की गवाही हुई, जिनमें से 34 गवाह मुकर गए।

2024: कोर्ट को धमकी मिली कि अगर फैसला नहीं आया तो बम से उड़ा दिया जाएगा।

31 जुलाई 2025: कोर्ट ने यह कहते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया कि मोटरसाइकिल में बम होने का कोई ठोस सबूत नहीं है, और अभियोजन पक्ष सबूत पेश करने में नाकाम रहा।

 साध्वी की राजनीतिक पारी और लोकसभा में प्रवेश
2019 के लोकसभा चुनाव में साध्वी प्रज्ञा ने बीजेपी के टिकट पर भोपाल सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को हराकर संसद पहुंचीं। अपने चुनाव प्रचार में उन्होंने जेल की यातनाओं को मुद्दा बनाते हुए कहा था कि “जो मैंने सहा, वह कोई बहन न सहे।” 2024 तक वे सांसद रहीं, हालांकि स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण उनकी सक्रियता सीमित रही।

उस वक्त कौन था देश का प्रधानमंत्री?
मालेगांव विस्फोट के वक्त भारत में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। वे 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक सत्ता में रहे और उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार थी। 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!