Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Sep, 2025 07:43 PM

केंद्र सरकार एक बार फिर बड़े पैमाने पर सरकारी बैंकों के विलय की योजना बना रही है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा 12 सरकारी बैंकों को मिलाकर सिर्फ 3 से 4 बड़े और मजबूत सरकारी बैंक बनाने पर विचार किया जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय बैंकिंग...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार एक बार फिर बड़े पैमाने पर सरकारी बैंकों के विलय की योजना बना रही है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा 12 सरकारी बैंकों को मिलाकर सिर्फ 3 से 4 बड़े और मजबूत सरकारी बैंक बनाने पर विचार किया जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय बैंकिंग सेक्टर को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।
यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने सरकारी बैंकों के विलय पर कदम उठाया हो। इससे पहले 2020 में 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाए गए थे। उस फैसले से सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी। अब इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर बैंकिंग सिस्टम को और सशक्त बनाने की तैयारी है।
भारत में फिलहाल सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और HDFC बैंक ही ऐसे बैंक हैं जो दुनिया के 100 सबसे बड़े बैंकों (एसेट्स के आधार पर) में जगह बना पाए हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार एक बार फिर से सरकारी बैंकों के विलय (consolidation) पर विचार कर रही है, ताकि कुछ बड़े और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक बनाए जा सकें।
जल्द हो सकता है नया फैसला
आगामी 'PSB मंथन बैठक' में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इस बार भी बैंकों से बातचीत के बाद ही कोई फैसला लेगी, जैसा कि 2020 में किया गया था। उस समय 27 सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर 12 कर दी गई थी। सरकार का लक्ष्य इस बार कम से कम 3-4 बड़े बैंक बनाना है, जो वैश्विक स्तर पर पहचान बना सकें।
इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग पर भी होगी चर्चा
इस बैठक में केवल बैंक ही नहीं, बल्कि नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) जैसे संस्थान भी शामिल होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि 2040 तक भारत को करीब 4.5 ट्रिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की जरूरत होगी, जिसके लिए मजबूत और बड़े बैंकों की भूमिका अहम होगी।
क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट
एक और अहम बात यह है कि देश में कर्ज देने की रफ्तार धीमी पड़ती नजर आ रही है। जुलाई 2025 में गैर-खाद्य कर्ज (non-food credit) में सिर्फ 9.9% की सालाना बढ़ोतरी हुई, जबकि जुलाई 2024 में यह दर 13.7% थी। CareEdge Ratings के अनुसार, बड़ी इंडस्ट्री को दिए जाने वाले कर्ज में भी सिर्फ 1% से कम की वृद्धि हुई है। इसकी वजह है निजी कंपनियों की ओर से पूंजी निवेश में सुस्ती।