RBI ने उठाया बड़ा कदम: शुरू हुए 3 महत्वपूर्ण सर्वेक्षण, जानें कैसे तय होगी आपकी EMI और निवेश की नीतियां

Edited By Updated: 01 Nov, 2025 11:05 AM

3 important surveys begin learn how your emi and investment policies will be

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी हकीकत और जनता की सोच को समझने के लिए तीन अहम सर्वे शुरू किए हैं। इन सर्वेक्षणों का मकसद है यह जानना कि आम लोग आने वाले महीनों में महंगाई, रोजगार और आमदनी को लेकर क्या उम्मीद रखते हैं। इनसे...

नेशनल डेस्क: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी हकीकत और जनता की सोच को समझने के लिए तीन अहम सर्वे शुरू किए हैं। इन सर्वेक्षणों का मकसद है यह जानना कि आम लोग आने वाले महीनों में महंगाई, रोजगार और आमदनी को लेकर क्या उम्मीद रखते हैं। इनसे मिली जानकारी आगे चलकर आरबीआई की मौद्रिक नीति और ब्याज दरों को प्रभावित करेगी। आरबीआई ने शुक्रवार को इन सर्वेक्षणों की घोषणा की और बताया कि इन्हें नवंबर 2025 में पूरे देश में किया जाएगा। सर्वे में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों के परिवारों को शामिल किया जाएगा ताकि देश की आर्थिक नब्ज का सही आकलन हो सके।

महंगाई उम्मीद सर्वे 
इस सर्वे का मकसद यह समझना है कि आम लोग भविष्य में महंगाई को लेकर क्या सोचते हैं — यानी क्या उन्हें लगता है कि आने वाले महीनों में दाल, तेल, गैस या कपड़ों जैसी जरूरी चीज़ों के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे। यह सर्वे 19 बड़े शहरों में किया जा रहा है, जहां परिवारों से उनके दैनिक खर्च और कीमतों में बदलाव को लेकर राय ली जाएगी। इससे आरबीआई को यह पता चलेगा कि आम जनता की नजर में महंगाई को लेकर चिंता कितनी है। यह जानकारी आगे चलकर ब्याज दरों और आर्थिक नीतियों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

शहरी उपभोक्ता विश्वास सर्वे
दूसरा सर्वे शहरी उपभोक्ताओं पर केंद्रित है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि शहरों में रहने वाले लोग अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर कितने आत्मविश्वासी हैं। सर्वे में लोगों से पूछा जाएगा — क्या उन्हें लगता है कि उनकी नौकरी सुरक्षित है? क्या उनकी आय बढ़ी है या खर्च करने की क्षमता कम हुई है? ऐसे सवालों से आरबीआई को यह समझने में मदद मिलती है कि देश के शहरी उपभोक्ता भविष्य को लेकर कितने सकारात्मक या नकारात्मक हैं। यह सर्वे उपभोक्ता खर्च, निवेश और बाजार की रफ्तार का अंदाजा लगाने में अहम साबित होता है।

ग्रामीण उपभोक्ता विश्वास सर्वे 
तीसरा सर्वे ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों पर फोकस करता है। इसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गांवों में लोगों से पूछा जाएगा कि वे अपनी आमदनी, रोजगार के अवसर, और वस्तुओं की कीमतों को लेकर क्या सोचते हैं। साथ ही यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि अगले एक साल में वे आर्थिक स्थिति में सुधार या गिरावट की उम्मीद रखते हैं या नहीं। ग्रामीण भारत में खर्च और उपभोग की स्थिति समझने के लिए यह सर्वे बेहद जरूरी माना जा रहा है।

क्यों हैं ये सर्वे इतने जरूरी?
आरबीआई हर साल ऐसे सर्वे कराता है ताकि उसे देश के आम लोगों की आर्थिक भावनाओं और उम्मीदों की तस्वीर मिल सके। इन आंकड़ों को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) के सामने रखा जाता है, जो यह तय करती है कि ब्याज दरें घटेंगी, बढ़ेंगी या स्थिर रहेंगी। इन तीनों सर्वेक्षणों के नतीजे 3 दिसंबर से शुरू होने वाली MPC बैठक से पहले आने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इनके निष्कर्ष आने वाले महीनों में मौद्रिक नीतियों पर सीधा असर डालेंगे, जिससे आपकी जेब पर भी फर्क पड़ सकता है।

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