5 बड़े नेता, जिन्होंने CM योगी के खिलाफ खोला मोर्चा, नेताओं के खिलाफ उभरते विरोधी ध्वनियां

Edited By Updated: 18 Jul, 2024 03:18 PM

5 big leaders who opened a front against cm yogi

उत्तर प्रदेश की राजनीति में तेजी से बदलाव की तेज रफ्तार देखने को मिल रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद भाजपा में हलचल मची हुई है, जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में तेजी से उमड़ते हुए अनुशासन और विकास की बातें की...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश की राजनीति में तेजी से बदलाव की तेज रफ्तार देखने को मिल रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद भाजपा में हलचल मची हुई है, जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में तेजी से उमड़ते हुए अनुशासन और विकास की बातें की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी ध्वनियां भी मजबूती से उभर रही हैं। उधर अखिलेश यादव मॉनसून ऑफर दे रहे हैं कि ‘सौ लाओ, सरकार बनाओ’। जाहिर है कि सत्ता पक्ष में मचे घमासान पर विपक्ष चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर हार की जिम्मेदारी ले चुके हैं, लेकिन यूपी के नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

केशव प्रसाद मौर्या
भाजपा के प्रमुख नेताओं में से एक, केशव प्रसाद मौर्या ने अपनी बड़ी बात से राजनीतिक गलियारे में धमाल मचा दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से उच्चाधिकारियों को समझाया कि पार्टी के लिए कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। केशव ने बीजेपी कार्यसमिति की मीटिंग में साफ तौर पर कह दिया कि ‘7 कालिदास मार्ग (लखनऊ में केशव मौर्या का आवास) कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला रहता है। कार्यकर्ता का दर्द मेरा दर्द है। संगठन, सरकार से बड़ा है। केशव मौर्या के इसी बयान के बाद केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा। केशव मौर्या, भूपेंद्र चौधरी के साथ दिल्ली तलब किए गए और फिर अंदरूनी खींचतान को ढंकने की कोशिश हुई।

ओम प्रकाश राजभर
ओम प्रकाश राजभर भी एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी बयानबाजी से पार्टी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी पर सवाल उठाया है। उन्होंने सीधे तौर पर योगी और मोदी को हार का जिम्मेदार ठहराया है।परिणाम आने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने सीधे तौर पर कहा था कि जनता ने योगी और मोदी को नकार दिया। बता दें कि ओमप्रकाश राजभर के बेटे घोसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी थे, लेकिन हार मिली। 

अनुप्रिया पटेल और आशीष पटेल
अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल ने भी पार्टी के अंदरी घमासान में हिस्सा लिया है। उन्होंने बेहद सख्त भाषा में प्रदेश के समस्याओं को उठाया और सरकारी कार्यों में सुधार की मांग की है। एनडीए की एक और सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा और सरकारी नौकरियों में पिछड़ों के आरक्षण को सही तरीके से लागू करने की बात कही थी।
 

संजय निषाद
संजय निषाद ने भी प्रधानमंत्री और पार्टी के कुछ नेताओं पर सवाल उठाए हैं और संविधान के अपमान का इल्जाम लगाया है। केंद्रीय नेतृत्व पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा कि संविधान को लेकर नेताओं की गलत बयानबाजी और ओवरकॉन्फिडेंस ने हार का मुंह दिखाया। 400 पार के नारे पर बहुत ज्यादा भरोसे के चलते भी हार मिली।

सुनील भराला
सुनील भराला ने भी संगठन में बदलाव की मांग की है और हार के लिए संगठन को भी जिम्मेदार ठहराया है। यहां तक कि भाजपा के अंदर ही नहीं, बाहरी सहयोगी भी हार के बाद खुलकर अपनी बातें रख रहे हैं। इससे साफ है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अगले चुनाव के लिए भाजपा के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। अब यह देखना होगा कि पार्टी की संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व किस तरह से इस चुनौती का सामना करते हैं।

 

 


 

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