डॉक्टरों के लिए गुड न्यूज़! एनेस्थीसिया के ओवरडोज से नहीं होगी मौत, इस कंपनी ने बनाई दुनिया की पहली डिवाइस

Edited By Updated: 26 Sep, 2025 02:20 PM

a digital machine designed in greater noida will eliminate anesthesia errors

भारत अब मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने की ओर अग्रसर है। ग्रेटर नोएडा की कंपनी मेडिक्सा ग्लोबल ने एक ऐसी क्रांतिकारी डिजिटल सिडेशन डिवाइस तैयार की है जो एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) के ओवरडोज और इंजेक्शन से होने वाले संक्रमण के खतरे...

नेशनल डेस्क। भारत अब मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने की ओर अग्रसर है। ग्रेटर नोएडा की कंपनी मेडिक्सा ग्लोबल ने एक ऐसी क्रांतिकारी डिजिटल सिडेशन डिवाइस तैयार की है जो एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) के ओवरडोज और इंजेक्शन से होने वाले संक्रमण के खतरे को खत्म कर देगी। इस अनोखी तकनीक का नाम है वेलसेड डिजिटल सिडेशन डिवाइस जो बिना इंजेक्शन के मरीज को दर्द से मुक्ति दिला सकती है।

कैसे काम करती है यह सुरक्षित डिवाइस?

वेलसेड डिवाइस पूरी तरह से डिजिटल है और इसे सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।

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गैस द्वारा सिडेशन: यह डिवाइस एक मास्क के ज़रिए मरीज़ को नाइट्रस ऑक्साइड गैस देती है। यह गैस न सिर्फ मरीज़ को सुन्न (Sedate) करती है बल्कि उसकी घबराहट और चिंता को भी दूर करती है।

सुरक्षित और सजग: डिवाइस पूरे समय ऑक्सीजन का संतुलन बनाए रखती है जिससे मरीज़ सुरक्षित और सजग (Conscious) बना रहता है।

रियल-टाइम मॉनिटरिंग: इसकी स्क्रीन पर सर्जरी के दौरान मरीज़ की संपूर्ण स्थिति को रीयल टाइम में देखा जा सकता है।

कम्युनिकेशन संभव: सबसे बड़ी बात यह है कि मरीज़ को कोई परेशानी होने पर वह डॉक्टर को बता सकता है जो सामान्य एनेस्थीसिया की स्थिति में संभव नहीं होता।

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कई जटिल सर्जरी में होगी उपयोगी

डिवाइस के आविष्कारक और बीएचयू के गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. जितेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि यह नई तकनीक कई जटिल प्रक्रियाओं में बेहद उपयोगी है।

उपयोग: यह डिवाइस उन सभी सर्जरी में कारगर है जहां पूर्ण एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती। जैसे: हार्ट सर्जरी, लीवर बायोप्सी, न्यूरो और आंखों की सर्जरी, कैंसर ट्रीटमेंट, डर्मेटोलॉजी, हेयर ट्रांसप्लांट, डेंटल ट्रीटमेंट (रूट कैनाल और दांत निकालना) आदि।

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भारत सरकार से मिला लाइसेंस

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी डिवाइस को भारत सरकार के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से लाइसेंस मिल चुका है।

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अनुमति: इसका मतलब है कि अब यह डिवाइस व्यावसायिक रूप से उपयोग और निर्यात के लिए अधिकृत है।

वर्तमान स्थिति: वर्तमान में यह डिवाइस गौतमबुद्ध नगर के चार निजी डेंटल क्लीनिकों में सफलतापूर्वक उपयोग की जा रही है।

राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) के सीईओ डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि वेलसेड डिजिटल डिवाइस को उनके संस्थान में क्लीनिकल ट्रायल के लिए लाया गया है। इसे लाइसेंस मिलना चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा और आने वाले महीनों में यह तकनीक मेडिकल फील्ड को बेहतर बनाएगी।

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