अस्पताल बना मौत का अड्डा! चूहों के कुतरने से दूसरे नवजात की भी गई जान

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 02:27 AM

hospital becomes a death trap another newborn dies due to rat bites

मध्य प्रदेश के इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में चूहों के हमले की शिकार दूसरी नवजात बच्ची ने बुधवार को दम तोड़ दिया जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि उसकी मौत सेप्टिसीमिया (रक्त विषाक्तता या रक्त संक्रमण) के कारण हुई।

नेशनल डेस्कः मध्य प्रदेश के इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में चूहों के हमले की शिकार दूसरी नवजात बच्ची ने बुधवार को दम तोड़ दिया जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि उसकी मौत सेप्टिसीमिया (रक्त विषाक्तता या रक्त संक्रमण) के कारण हुई। अधिकारियों के मुताबिक एमवायएच प्रशासन ने ‘नवजात बच्ची के परिजनों की इच्छा के मुताबिक' उसके शव को पोस्टमार्टम के बिना उसके परिवार को सौंप दिया। चूहों के हमले के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत को लेकर मचे बवाल के बीच एमवायएच प्रशासन का यह कदम कई संदेहों और सवालों को जन्म दे रहा है। 

हालांकि, एमवायएच प्रशासन का दावा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत के मामले का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर में संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और इंदौर के जिलाधिकारी से बात करके उन्हें इस मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यादव ने कहा कि उनकी सरकार लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। करीब 75 साल पुराने एमवायएच की गिनती सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में होती है। 

एमवायएच के उपाधीक्षक डॉ. जितेंद्र वर्मा ने बताया कि हाल में चूहों के हमले की जद में आई एक नवजात बच्ची की इलाज के दौरान बुधवार को मौत हो गई। उन्होंने बताया कि महज 1.60 किलोग्राम वजन वाली यह बच्ची अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही थी जिनमें आंतों की विकृति शामिल थी। वर्मा ने बताया कि एमवायएच में सात दिन पहले इस बच्ची का ऑपरेशन किया गया था और ‘सेप्टिसीमिया' के कारण उसकी हालत गंभीर थी। उन्होंने कहा कि बच्ची की मृत्यु ‘सेप्टिसीमिया' के कारण हुई है। 

वर्मा ने कहा कि नवजात बच्ची के परिजनों की इच्छा के मुताबिक उसके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और शव को उसके परिवार को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि बच्ची को चूहों ने उसके बायें हाथ की दो अंगुलियों पर काटा था जिससे उसे ‘‘हल्की खरोंच'' आई थी। इस बीच, इंदौर के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने एमवायएच का दौरा किया। उन्होंने कहा कि एमवायएच में चूहों की समस्या के मद्देनजर ‘तीसरे पक्ष' से अस्पताल का ऑडिट कराया जाएगा और इसके आधार पर आगामी कदम उठाए जाएंगे। 

इससे पहले, एमवायएच में चूहों के हमले की शिकार एक अन्य बच्ची की मंगलवार को मौत हो गई थी और उसके शव का पोस्टमार्टम कराया गया था। अधिकारियों ने बताया कि चूहों के हमले की शिकार दोनों बच्चियां नवजात बच्चों की सर्जरी से जुड़े विभाग की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती थीं। अधिकारियों ने बताया कि दोनों बच्चियां अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही थीं। 

एमवायएच, इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध है। महाविद्यालय के अधिष्ठाता (डीन) डॉ. अरविंद घनघोरिया ने मंगलवार को दम तोड़ने वाली नवजात बच्ची के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले कहा था कि मरीज का इलाज कर रहे चिकित्सकों को पहली नजर में लगता है कि उसकी जान निमोनिया के संक्रमण के कारण गई। 

बहरहाल, एमवायएच अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बुधवार को कहा, ‘‘जिस नवजात बच्ची की मंगलवार को मौत हुई, उसके शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से उसमें हृदय वाहिकाओं की समस्या, ‘सेप्टिसीमिया' और संक्रमण के बारे में पता चला है। ये सभी समस्याएं उसे चूहों के काटने से पहले से थीं।'' उन्होंने कहा ,‘‘दोनों नवजात बच्चियां अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही थीं और उनकी हालत पहले से गंभीर थी। इलाज के दौरान इन बच्चियों के दम तोड़ने को चूहों के काटने से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर देखा गया है कि चूहों के काटने से किसी इंसान की मौत नहीं होती है।'' 

एमवायएच के एक अधिकारी ने बताया कि बच्चों की सर्जरी से जुड़े विभाग के अध्यक्ष डॉ. ब्रजेश लाहोटी को कर्तव्य के पालन में कथित तौर पर घोर लापरवाही के कारण बुधवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उन्होंने बताया कि एमवायएच के एक सहायक अधीक्षक-सह-भवन प्रभारी और एक प्रभारी नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले, नवजात बच्चियों को चूहों के काटे जाने की घटना की शुरुआती जांच के आधार पर एमवायएच के दो अन्य नर्सिंग अधिकारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया गया था और अस्पताल की नर्सिंग अधीक्षक को पद से हटा दिया गया था। उन्होंने बताया कि एमवायएच से जुड़ी एक निजी ठेकेदार फर्म को चेतावनी पत्र जारी करते हुए उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। 

एमवायएच अधीक्षक डॉ. यादव के मुताबिक इस फर्म को एमवायएच परिसर की साफ-सफाई, सुरक्षा, कीट नियंत्रण और डेटा एंट्री ऑपरेटर सरीखे मानव संसाधन मुहैया कराने के बदले एक से डेढ़ करोड़ रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। सरकारी खजाने से इस फर्म को मोटे भुगतान के औचित्य और कथित भ्रष्टाचार के बारे में पूछे जाने पर एमवायएच अधीक्षक ने कहा, ‘‘हम तीसरे पक्ष से इसका विस्तृत ऑडिट कराएंगे कि इस फर्म ने अपना काम ठीक से किया है या नहीं। अगर कोई गड़बड़ पाई जाती है, तो इस फर्म का ठेका रद्द कर दिया जाएगा।'' 

एमवायएच में नवजात बच्चों पर चूहों के हमले का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले, वर्ष 2021 में इस सरकारी अस्पताल की नर्सरी (वह स्थान जहां नवजात बच्चों को देख-भाल के लिए रखा जाता है) में चूहों ने एक बच्चे की एड़ी कुतर दी थी। इस बीच, गैर सरकारी संगठन ‘जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश' के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने बताया कि उनके संगठन ने दोनों नवजात बच्चियों की मौत की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग के साथ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एमवायएच में नवजात बच्चों के आईसीयू की स्वच्छता और सुरक्षा में घोर लापरवाही बरती गई, नतीजतन इसमें चूहे घुस गए और उनके काटने से हुआ संक्रमण दोनों नवजात बच्चियों के लिए जानलेवा साबित हुआ। 

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