कैंसर, हार्ट डिजीज या सांस की बीमारी — कौन सी ले रही है सबसे ज्यादा जानें?

Edited By Updated: 05 Sep, 2025 09:52 PM

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भारत में मौतों के प्रमुख कारणों पर हाल ही में जारी Registrar General of India (RGI) की रिपोर्ट ने देश की स्वास्थ्य प्रणाली के सामने एक गंभीर चुनौती रख दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अब हृदय रोग (Cardiovascular Disease) भारत में मौतों का सबसे बड़ा...

नेशनल डेस्कः भारत में मौतों के प्रमुख कारणों पर हाल ही में जारी Registrar General of India (RGI) की रिपोर्ट ने देश की स्वास्थ्य प्रणाली के सामने एक गंभीर चुनौती रख दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अब हृदय रोग (Cardiovascular Disease) भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। वहीं, श्वसन संक्रमण (Respiratory Infections) और कैंसर जैसे रोग पीछे रह गए हैं।

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत अब एक एपिडेमियोलॉजिकल ट्रांजिशन (रोगों की प्रकृति में बदलाव) के दौर से गुजर रहा है, जहां संक्रामक बीमारियों (Communicable Diseases) की जगह अब गैर-संक्रामक बीमारियां (Non-Communicable Diseases - NCDs) ले रही हैं।

भारत में मौतों के आंकड़े: किस बीमारी से कितनी मौतें होती हैं?

RGI की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित बीमारियां भारत में मौतों की सबसे बड़ी वजह हैं:

बीमारी कुल मौतों में हिस्सेदारी
हृदय रोग (दिल की बीमारी) 31%
श्वसन संक्रमण 9.3%
कैंसर 6.4%
क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज 5.7%
पाचन तंत्र संबंधी रोग 5.3%
अस्पष्ट बुखार 4.9%
अनजाने हादसे 3.7%
डायबिटीज 3.5%
गुर्दे/मूत्र रोग 3.0%

यह साफ दर्शाता है कि अब भारत में मौतें सिर्फ संक्रमण से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल, पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से भी हो रही हैं।

उम्र के अनुसार मौतों के कारण: एक चिंताजनक तस्वीर

  • 30 साल से ऊपर के वयस्कों में हृदय रोग सबसे प्रमुख कारण है। ये सीधे तौर पर गलत खानपान, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता और धूम्रपान से जुड़े हैं।

  • 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है। यह दर्शाता है कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक दबाव और रोजगार/शिक्षा से जुड़े तनाव भारत के युवाओं को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।

क्यों बढ़ रही हैं Non-Communicable Diseases (NCDs)?

NCDs की बढ़ती संख्या का सीधा संबंध भारत में तेजी से बदलते शहरीकरण, औद्योगीकरण और जीवनशैली से है।

प्रमुख कारण:

  1. अस्वस्थ खानपान – प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, अधिक चीनी और नमक, तैलीय भोजन का अत्यधिक सेवन।

  2. शारीरिक गतिविधि की कमी – शहरों में ऑफिस कल्चर और बैठकर काम करने की आदत।

  3. मानसिक तनाव – तेज जीवनशैली, नौकरी का दबाव, सोशल मीडिया और प्रतिस्पर्धा।

  4. धूम्रपान और शराब का सेवन – युवाओं और वयस्कों दोनों में लत की स्थिति।

  5. वातावरणीय प्रदूषण – विशेषकर वायु प्रदूषण, जो हार्ट और फेफड़ों की बीमारी को बढ़ावा देता है।

 क्या हो सकता है समाधान?

इन बीमारियों से निपटने के लिए भारत को अब न केवल इलाज पर, बल्कि रोकथाम (Prevention) और जागरूकता पर ध्यान देना होगा।

व्यक्तिगत स्तर पर बचाव के उपाय:

  • नियमित स्वास्थ्य जांच – विशेषकर हृदय, डायबिटीज और कैंसर की शुरुआती जांच।

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – रोज़ाना 30 मिनट व्यायाम/योग करें, संतुलित आहार लें।

  • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें – तनाव होने पर काउंसलिंग, हेल्पलाइन और ओपन डिस्कशन।

  • नशे से दूरी – धूम्रपान और शराब जैसी आदतों को धीरे-धीरे छोड़ें।

  • पर्यावरण और स्वच्छता – साफ-सफाई से संक्रामक बीमारियों का भी खतरा कम होगा।

सरकारी और नीतिगत बदलाव की आवश्यकता

सरकार को चाहिए कि वह:

  • स्कूलों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य करे।

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर NCDs की स्क्रीनिंग सुविधाएं बेहतर बनाए।

  • फिट इंडिया और आयुष्मान भारत जैसे अभियानों को और मजबूती से लागू करे।

  • मानसिक स्वास्थ्य नीति को ज़मीनी स्तर तक लागू किया जाए।

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