इस जाबांज को PAK सेना ने दिया था 'शेरशाह' नाम, आईए जानते हैं विक्रम बत्रा के बारे में कुछ खास बातें

Edited By Anil dev,Updated: 07 Jul, 2020 11:58 AM

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आज ही के दिन कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपनी साथी ऑफिसर की जान बचाने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी थी। विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए शहीद हुए थे।

नेशनल डेस्कः आज ही के दिन कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपनी साथी ऑफिसर की जान बचाने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी थी। विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए शहीद हुए थे। कैप्टन बत्रा को मरणोपरांत वीरता सम्मान परमवीर चक्र से समान्नित किया गया था। उनके अदम्य साहस और बहादुरी के चर्चे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी थे। पाकिस्तानी सेना ने शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम दिया था।
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हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था। 19 जून 1999 को कैप्ट विक्रम बत्रा की लीडरशिप ममें इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वाइंट 5140 छीन लिया था। ये रणनीति के हिसाब से बड़ा महत्वपूर्ण प्वाइंट था क्योंकि यह एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था। वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिको पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे। इसे जीतते ही विक्रम बत्रा अगले प्वाइंट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जोकि सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री पर पड़ता था।

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विक्रम बत्रा के बारे में कुछ खास बातें

  • 7 जुलाई 1999 को अपने साथी जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए बिक्रम बत्रा शहीद हो गए थे। ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन बत्रा ने कहा था, ‘तुम हट जाओ, तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं। तभी अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा, नवीन बुरी तरह घायल हो गए। विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हें वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई लेकिन कैप्टन ने देश के लिए शहीद हो गए।
  • बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसंबर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी। उनकी सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दो साल के अंदर कैप्टन बन गए। उसी दौरान कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया। वे जब तक जिंदा रहे अपने साथियों की जान बचाते रहे।
  • पाकिस्तानी सेना ने कोड नेम में विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम दिया था। पाकिस्तानों ने कैप्टन बत्रा को बंकरों पर कब्जा करते हुई पहाड़ी की चढ़ाई न करने की चेतावनी दी, इस पर बत्रा गुस्से में आ गए कि उनको कैसे चुनौती दी गई। इसके बाद ये दिल मांगे मोर का नारा देते हुए कैप्टन बत्रा ने पाकिस्तानियों की चुनौती का जवाब दिया। इसी ऑप्रेशन में पाकिस्तानी सेना ने उन्हें शेरशाह का नाम दिया।
  • मिशन के दौरान जब बत्रा अपनी टीम के साथ ऊपर चढ़ रहे थे तो ऊपर बैठे दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी। बत्रा ने बहादुरी का परिचय देते हुए तीन दुश्मनों को नजदीकी लड़ाई में मार गिराया और 20 जून 1990 को उन्होंने प्वाइंट 5140 पर भारत का झंडा लहराया। इसके अलावा उन्होंने प्वाइंट 5100, 4700, 4750 और 4875 पर भी जीत का परचम लहराया। अंतत: प्वाइंट 4875 पर कब्जा करते समय कैप्टन बत्रा बुरी तरह घायल हो गए और 7 जुलाई 1999 को भारत मां के इस वीर सपूत ने आखिरी बार ‘जय माता दी’ कह कर इस दुनिया से विदाई ली।
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