Unnao rape case के आरोपी कुलदीप सेंगर को लगा तगड़ा झटका, SC ने HC के जमानत आदेश पर लगाई रोक

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 12:36 PM

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दुष्कर्म कांड में आरोपी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जहाँ CBI ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सेंगर की सजा निलंबित करने और उसे जमानत...

नेशनल डेस्कउन्नाव दुष्कर्म मामले में सजा काट रहे पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक (Stay) लगा दी है, जिसमें सेंगर की सजा निलंबित कर उसे जमानत दी गई थी। कोर्ट के इस कड़े रुख के बाद अब यह साफ हो गया है कि जमानत मिलने के बावजूद कुलदीप सिंह सेंगर जेल की सलाखों से बाहर नहीं आ सकेगा। इस केस में कोर्ट में ये दलीलें दी गई थीं।

Supreme Court में CBI  ने दी ये दलील 

CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि यह महज एक अपराध नहीं, बल्कि एक नाबालिग के साथ हुआ 'भयावह और जघन्य' दुष्कर्म है। SG ने साफ किया कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, जो इसे 'एग्रवेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' (Aggravated Penetrative Sexual Assault) की श्रेणी में लाता है। सीबीआई ने तर्क दिया कि सेंगर उस समय एक विधायक था। ऐसे में उस पर समाज और कानून की रक्षा की अधिक जिम्मेदारी थी, लेकिन उसने अपने पद के प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया। तुषार मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी पाया है, जिसमें न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान है। पीड़िता के नाबालिग होने के कारण धारा 376(2) लागू होती है, जिसमें न्यूनतम सजा 20 साल है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने संकेत दिया कि वे सेंगर को मिली राहत पर रोक लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि सामान्य तौर पर एक बार दी गई व्यक्तिगत स्वतंत्रता (जमानत) को वापस नहीं लिया जाता, लेकिन यह मामला 'विशिष्ट' (Peculiar) है क्योंकि सेंगर पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) के मामले में भी 10 साल की सजा काट रहा है और उस केस में उसे राहत नहीं मिली है।

हाईकोर्ट ने क्यों दी थी राहत?

इससे पहले 23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए सेंगर की उम्रकैद की सजा सस्पेंड की थी कि वह साढ़े सात साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है और उसकी अपील पर सुनवाई में काफी समय लग रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर कड़ा रुख अपनाया है।

 

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